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उत्तराखंड कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख हरीश रावत के ट्वीट के बाद कांग्रेस की अंतर्कलह खुलकर सामने दिखने लगी है। जहां आलाकमान ने प्रदेश की सीनियर लीडरशिप को दिल्ली तलब कर दिया, वहीं कांग्रेस के कई नेता अब हरदा के पक्ष में सामने आकर बोलने से भी नहीं चुक रहे।
राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, जागेश्वर के विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, धारचूला के विधायक हरीश धामी के अलावा एक पूर्व दर्जाधारी गोपाल सिंह रावत ने न सिर्फ हरीश रावत के पक्ष में बयान दिए हैं, बल्कि कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव की भूमिका को भी कटघरे में खड़ा किया है। इनका कहना है कि इसवक्त प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ता ही नहीं जनता भी हरीश रावत को बतौर सीएम देखना चाहती है।
पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने तो यहां तक कह डाला कि जहां हरीश रावत जाएंगे वहां हम सब जाएंगे। जबकि विधायक हरीश धामी का कहना है कि हरदा को सीएम नहीं बनाया तो अलग लाइन में खड़े होने वालों में वह सबसे आगे होंगे। सांसद प्रदीप टम्टा कहते हैं कि हरदा को सीएम का चेहरा बनाया जाना चाहिए।
वहीं, पूर्व दर्जाधारी गोपाल सिंह रावत कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में हरदा के अलावा कोई और मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है। यहां तक कहा कि प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव उत्तराखंड में कुछ कांग्रेस के नेताओं के साथ कांग्रेस को खत्म करना चाहते हैं। कांग्रेस हाईकमान को उन्हें प्रदेश प्रभारी पद से हटाना चाहिए। यह भी कि हरदा के सीएम का चेहरा बनने पर ही कांग्रेस सत्ता में आ सकती है।
उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर के ऐसे हालातों पर जानकार मानते हैं कि यदि हाईकमान ने जल्द ही इस मसले को नहीं सुलझाया, तो यह पार्टी के लिए नुकसानदेह भी साबित हो सकता है। लिहाजा, अब गेंद पूरी तरह से हाईकमान के पाले में जा चुकी है। देखना है कि वह चूकती है या फिर गोल साधती है।