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बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद

बदरीनाथ (शिखर हिमालय)। भूबैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए विधिविधान से बंद हो गए। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु कपाटबंदी के साक्षी बने। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही ग्रीष्मकालीन चारधाम यात्रा भी सकुशल संपन्न हो गई। इसवर्ष देर से यात्रा संचालित होने के बावजूद चारों धामों में 5 लाख से अधिक तीर्थाटकों ने दर्शन किए।

शनिवार को धाम में बदरीनाथ मंदिर के द्वार ब्रह्ममुहुर्त में खुल गए थे। दिनभर की नित्य पूजा अर्चना के बाद शाम साढ़े चार बजे कपाट बंदी की प्रक्रिया शुरू हुई। बद्रीश पंचायत में अवस्थित भगवान उद्धव और कुबेर की विग्रह प्रतिमाओं को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया गया। जिसके बाद रावल ने स्त्री वेश में भगवती लक्ष्मी की प्रतिमा को गर्भगृह में विराजित किया।

इस दौरान माणा गांव की महिला मंडल द्वारा तैयार ऊन का कंबल घृत लेपन कर बदरीनाथ भगवान को ओढ़ाया गया। जिसके बाद कपाट बंद कर दिए गए। निर्धारित मुर्हूत शाम 6:45 बजे मुख्य द्वार शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया। इस दौरान सेना के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियां बदरीनाध धाम में गुंजायमान होती रही।

रविवार सुबह उद्धव जी की विग्रह प्रतिमा, जगद्गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ पांडुकेश्वर और जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। सोमवार को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में भगवान बदरीनाथ की शीतकालीन पूजा अर्चना प्रारंभ हो जाएगी।

कपाटबंदी के अवसर पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, आशुतोष डिमरी, अपर आयुक्त गढ़वाल नरेन्द्र क्वीरियाल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी डी सिंह, धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल, एसडीएम जोशीमठ कुमकुम जोशी, एसडीएम अजयबीर सिंह, बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. हरीश गौड़ आदि मौजूद रहे।

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