धर्म कर्म

ज्योतिषः इस महीने राजनीतिक हलकों में रहेगी खासी हलचल

इन राशियों के जातकों को भी प्रभावित करेगी तीन ग्रहों की मार्गी और वक्री चाल

Astrology: सौरमंडल में ग्रहों की स्थिति में बदलाव का प्रभाव पूरे भूमंडल पर पड़ता है। ज्योतिष में इस स्थिति को राशि परिवर्तन से जोड़कर भी देखा जाता है। परिणामतः जातकों का जीवन भी इससे प्रभावित माना जाता है। इससे कुंडली में ग्रह स्थितियों के अनुसार कुछ जातकों को शुभ तो कुछ को अहितकारी परिणाम मिलने की संभावनाए रहती है। गतिमान सितंबर माह में भी सौरमंडल के कई ग्रह राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। देश दुनिया के सामाजिक, राजनीतिक और लोगों के व्यक्तिक जीवन पर इनका क्या असर रहेगा, इस पर प्रकाश डाल रहे हैं प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल।

डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अनुसार सितंबर महीने में ग्रहों का राशि परिवर्तन राजनीतिज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों के समयकाल में हलचल पैदा कर सकता है। इसे ग्रहों के बदलाव की स्थितियों से जाना जा सकता है।

बुध ग्रह 10 सितंबर को कन्या राशि में होंगे वक्री
ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अनुसार बुध ग्रह मार्गी गति में लगभग 24 दिन में राशि परिवर्तन करते हैं। 10 सितंबर शनिवार के दिन सुबह 8:42 मिनट पर बुध कन्या राशि में ही वक्री हो जाएंगे। जो कि 2 अक्टूबर रविवार को वह पुनः अपनी मार्गी गति शुरू करेंगे। 26 अक्टूबर बुधवार को बुध कन्या से तुला राशि में गोचर कर जाएंगे।

ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि वक्री बुध जातकों में रचनात्मकता को बढ़ाने के अलावा व्यवहार, वाणी और बुद्धि को भी प्रभावित करता है। ग्रहों के वक्री होने का आशय उसका पीड़ित होना है।

जातकों को बुध ग्रह की अशुभता से बचने के लिए भगवान गणेश की पूजा करना चाहिए। कुंडली के किसी भी स्थान पर बुध अकेला हो तो पन्ना रत्न भी धारण कर सकते हैं। लेकिन यदि वह किसी अन्य ग्रह के साथ हो तो फिर उसके लिए बुध ग्रह का यंत्र बना सकते हैं। यह निर्णय कुंडली देखकर ही किया जा सकता है।

शुक्र ग्रह 15 सितंबर को सिंह राशि में होंगे अस्त
डॉ. घिल्डियाल बताते हैं कि ज्योतिष में अस्त शुक्र ग्रह अच्छा नहीं माना जाता है। इस माह शुक्र ग्रह के सिंह राशि में 15 सितंबर सुबह 2:29 बजे अस्त होना शुरू होगा। जिसकी समाप्ति 2 दिसंबर सुबह 6:13 बजे होगी। शुक्र को भोर का तारा भी कहा जाता है। शुक्र अस्त होने पर पूर्ण फल नहीं दे पाता है।

शुक्र के अस्त होने से जातकों के निजी जीवन में मतभेद, धन की कमी और प्रेम संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। शादी के लिए भी अनुकूल समय का इंतजार रहता है, क्योंकि इस अवधि में वैवाहिक का संपादन अशुभ माना जाता है। विवाह में रुकावट, दांपत्य जीवन में कड़वाहट, संतान प्राप्ति में बाधा, प्रमोशन में दिक्कत, मकान और वाहन खरीद में परेशानी हो, उन्हें अशुभता दूर करने के लिए मंत्रों से सिद्ध शुक्र ग्रह का यंत्र तैयार करराना चाहिए।

17 सितंबर को कन्या राशि में सूर्य का पारगमन
सितंबर माह में तीसरा प्रमुख राशि परिवर्तन कन्या राशि में होगा। सूर्यदेव 17 सितंबर, शनिवार को अपनी स्वराशि सिंह से निकलकर बुधदेव की राशि कन्या में सुबह 07:11 बजे विराजमान हो जाएंगे। सूर्य का यह पारगमन कन्या राशि वालों के लिए काफी शुभ होगा। राशि में सूर्य देव की शुभ स्थिति बड़े पदों की प्राप्ति में मददगार रहती है, वहीं विपरीत स्थिति से जातक के मान-सम्मान के साथ स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचाती है। सूर्य को सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त होता है। मेष राशि इनकी उच्च, वहीं तुला इसकी नीच राशि मानी गई है।

24 सितंबर को शुक्र का कन्या राशि में गोचर
सितंबर माह में ही शुक्र ग्रह एकबार फिर राशि परिवर्तन करेंगे। शुक्र का कन्या राशि में गोचर 24 सितंबर, शनिवार को रात 8:51 बजे होगा। शुक्र के राशि परिवर्तन कन्या राशि के जातकों के खर्च बढ़ सकते हैं। सेहत का ध्यान रखना होगा। कन्या राशि वालों को लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहिए और दान देना चाहिए।

(ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। मोबाइल -9411153845)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button