उत्तराखंडसियासत

Uttarakhand: … पुरानी गलतियों को नहीं दोहराना चाहते ‘हरीश रावत’

Uttarakhand: 10 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का नतीजा किसके पक्ष में होगा, बतौर मुख्यमंत्री किसका राजतिलक होगा? फिलहाल यह कहना तो संभव नहीं है। लेकिन अगर पूर्व सीएम हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो हरदा इसबार अपनी पुरानी गलतियों को दोहराने के मूड में नहीं हैं। बल्कि उनकी चाहत सुधार के साथ आगे बढ़ने की है। इसलिए कांग्रेस के प्रतिज्ञा पत्र के साथ वह अपने व्यक्तिगत संकल्पों को भी अभी से सार्वजनिक करते चले जा रहे हैं।

बता दें, कि 14 फरवरी को मतदान के बाद से अब तक पूर्व सीएम हरीश रावत अपने संकल्प के मुताबिक मीडिया में हररोज कुछ न कुछ बात सार्वजनिक कर रहे हैं। जिनमें उनके ईजाद शब्द ‘उत्तराखंडियत’ की पूरी झलक है। पहले भी हरदा गन्ने से लेकर गाड़ गदेरों तक की बात करते रहे हैं। अब उन्होंने अपनी एक पुरानी गलती को सामने रखकर उसमें सुधार करने की बात कही है। गर ऐसा होता है, तो प्रदेश में कृषि उत्पादन मंडी समितियों की उपयोगिता बढ़ने के साथ ही पर्वतीय उत्पादों और जैविक खेती को भी नई दिशा मिल सकती है।

बकौल हरीश रावत, पिछली बार मुझसे एक त्रुटि रह गई थी। मैंने पर्यटन विभाग पर ज्यादा भरोसा किया और उनको अपने नेशनल हाईवेज में फूड सराय, फूड कोर्ट्स और क्राफ्ट कोर्ट्स विकसित करने का दायित्व सौंपा। जिसमें प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद पर्यटन विभाग आगे नहीं बढ़ पाया।

इस बार मैं समझता हूं यह काम मंडी को सौंपा जाए। नई सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और हर बाजार में एक ऐसा फड़ बाजार भी विकसित करना चाहिए, जहां निकट के गांवों के लोग अपने उत्पाद को लाकर के बेच सकें।

उस स्थान की सुरक्षा आदि का दायित्व मंडी करे और ऐसे बाजारों को मंडी सिस्टम के साथ जोड़ा जाए, ताकि धीरे-धीरे दूरदराज के गांवों में भी मंडी सिस्टम विकसित किया जा सके। और स्थानीय उत्पादों को मंडी में लाकर और मंडी के माध्यम से बड़े बाजार में पहुंचाया जा सके। मैं समझता हूं कि जैविक खेती की तरफ जब हम बढ़ेंगे तो यह तंत्र हमारे लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button