आरोग्य एक्सपो के कार्यक्रमों में दिखेगी उत्तराखंड की छाप
• डेलीगेट्स को परोसे जाएंगे पहाड़ी व्यंजन, लोक संस्कृति के बिखरेंगे रंग
World Ayurveda Congress and Arogya Expo 2024 : देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखण्ड में प्रस्तावित वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 में खाने से लेकर मनोरंजन तक सभी में उत्तराखण्डी छाप देखने को मिलेगी। देश विदेश के डेलीगेट्स को पहाड़ी व्यंजन परोसे जाएंगे।
एक्सपो के लिए चार दिन का मेन्यू तैयार कर लिया गया है। दो दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए तय हुए हैं। जिसमें मांगल गायन से लेकर छोलिया और अन्य उत्तराखण्डी नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का आयोजन उत्तराखंड के लिए हर तरह से महत्वपूर्ण अवसर है। आयुर्वेद के संबंध में गहन विचार एवं मंथन का उत्तराखंड साक्षी बनेगा, साथ ही यहां की संस्कृति का भी देश-दुनिया में प्रचार प्रसार होगा।
विश्वस्तरीय यह आयोजन 12 से 15 दिसंबर तक परेड ग्राउंड देहरादून में होने जा रहा है। इस अवसर पर पहाड़ी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए भी कदम उठाए गए हैं। आयुष सचिव रविनाथ रामन के अनुसार डेलीगेट्स के भोजन और इस दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्तराखण्ड की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।
कार्यक्रम में डेलीगेट्स के लिए उत्तराखण्ड के पारंपरिक व्यंजनों से सुसज्जित विशेष भोजन की व्यवस्था की गई है। 12 दिसंबर को मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, गहत की भरवा रोटी, राई की सब्जी, गहत की दाल, तुअर की दाल, लाल साठी भात, झंगोरे की खीर और टिमरू की चटनी परोसी जाएगी। 13 दिसंबर के मेन्यू में मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, पालक की काफली, उड़द की दाल, लाल साठी भात, बाल मिठाई, रोटने और भंगजीरे की चटनी शामिल हैं।
14 दिसंबर को मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, गहत की भरवा रोटी, आलू की थिच्वाणी, भट्ट की चुटकाणी, झंगोरे का भात, सिंगोरी मिठाई, केले के गुलगुले, सफेद भुने भट्ट और तिल की चटनी का स्वाद मिलेगा। 15 दिसंबर के मेन्यू में मंडुवे की रोटी, घर का मक्खन, तिल कुचाई, भट्ट की चुटकाणी, चंबा का राजमा, लाल साठी भात, घुगती, अस्के और पीली राई की चटनी रखी जाएगी।
12 दिसंबर की सुबह के सांस्कृतिक कार्यक्रम में कंचन भंडारी एवं साथी-मांगल गायन और उद्यांचल पर्वतीय कला समिति द्वारा छोलिया नृत्य। 12 दिसंबर शाम को नव हिमालय लोक कला समिति-कुमाऊंनी लोकनृत्य, ब्रह्मकमल सांस्कृतिक समिति-गढ़वाली लोक नृत्य, जौनसार बावर सांस्कृतिक गांव का रिवाज संस्था-जौनसारी लोक नृत्य एवं पदमश्री प्रीतम भरतवाण द्वारा जागर की सुंदर प्रस्तुति दी जाएगी।
14 दिसंबर की शाम संस्कार सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संरक्षण समिति-कुमाऊंनी लोक नृत्य, संगम सांस्कृतिक समिति-गढ़वाली लोकनृत्य, स्पर्श जनजाति सामाजिक एवं सांस्कृतिक संध्या-जौनसारी लोक नृत्य एवं संगीता ढौंडियाल द्वारा लोक गायन की प्रस्तुति दी जाएगी।