
देहरादून। शिक्षामंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर जिले में दो-दो संस्कृत ग्राम बनाए जाएंगे। साथ ही प्रदेश के पांच लाख बच्चों को संस्कृत भाषा में दक्ष किया जाएगा। उन्होने संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों का वर्गीकरण कर नियमावली का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की बात भी कही।
यह बात शिक्षामंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दून विवि के सभागार में आयोजित शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान कही। कहा कि संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों का वर्गीकरण कर नियमावली के लिए जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में लाया जाएगा। अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संगठन व प्रबंधकीय संगठन की समस्याओं पर उन्होंने कहा कि शासन स्तर की मांगों का जल्द निराकरण किया जाएगा। जबकि प्रबंध तंत्र से जुड़ी समस्याओं का हल उन्हें खुद तलाशना होगा।
बैठक में सचिव संस्कृत शिक्षा चंद्रेश यादव, निदेशक एसपी खाली, सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल के अलावा शिक्षक संगठन व प्रबंधकीय संगठन के पदाधिकारी, प्रभारी प्राचार्य समेत सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
शिक्षक संगठन की मांगें
बैठक में शिक्षक संगठन के अध्यक्ष डॉ. रामभूषण बिजल्वाण ने छह सूत्रीय मांगें रखी। जिनमें संस्कृत शिक्षा की नियमावली जारी करने, माध्यमिक शिक्षा की तर्ज पर प्रवक्ता, एलटी, लिपिक एवं परिचाकरकों के पदों का सृजन, संस्कृत महाविद्यालयों में तैनात शिक्षकों को उच्च शिक्षा के समान लाभ देने, माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में कार्यरत प्रभारी प्रधानाचार्यों का प्रधानाचार्य पद पर समायोजन करने, अनुरक्षण अनुदान देने और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति शामिल हैं।
प्रबंधकीय संगठन की मांगें
प्रबंधकीय संगठन के अध्यक्ष डॉ. जर्नादन कैरवान ने 13 सूत्रीय मांगपत्र शिक्षामंत्री को सौंपा। जिसमें संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वर्षों से कार्यरत 155 शिक्षकों का समायोजन, विद्यालयों में लिपिक एवं परिचारकों की नियुक्ति के लिए पदों का सृजन, नए पदों का सृजन, उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के मानदेय को 6000 से बढ़ाकर 12000 रुपये प्रतिमाह करने और इस योजना का लाभ 50 से बढ़ाकर 100 शिक्षकों को देने की मांग शामिल है।