उत्तराखंड

Uttarakhand: राज्य सूचना आयोग ने जताया इस मामले में संदेह

जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी हरिद्वार से की विस्तृत रिपोर्ट तलब

देहरादून। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अभिलेख खोना सामान्य प्रक्रिया या साजिश? राज्य सूचना आयोग ने यह सवाल हरिद्वार जिले में राशन विक्रेताओं से सूचना का अधिकार के अंतर्गत राशन वितरण के अभिलेख मांगे जाने पर उनकी गुमशुदगी दर्ज होने की सूचना दिए जाने पर खड़ा किया है।

आयोग में राशन विक्रेताओं में द्वारा राशन वितरण की सूचना न दिए जाने पर कई अपील दायर की गई है। सुनवाई के दौरान प्रत्येक अपील में यह सामने आया कि राशन विक्रेता के अभिलेख खो गए या नष्ट हो गए, जिसकी पुलिस रिपोर्ट दर्ज है। आयोग ने इस पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए राशन वितरण में बड़ी अनियमितता का संदेह व्यक्त किया है। आयोग ने अलग-अलग अपीलों/शिकायतों में अपने अंतरिम आदेश में जिला खाद्य पूर्ति अधिकारी से रिपोर्ट तलब की है कि पूरे जिले में कितनी दुकानों के अभिलेख आज तक खो चुके हैं। कितनी रिपोर्ट दर्ज है और दुकान संचालकों पर क्या कार्यवाही की गई है।

आयोग ने राशन वितरण के अभिलेख खोने व पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के इस दृष्टिकोण से गहन जांच कराने के निर्देश दिए हैं कि कहीं सार्वजनिक वितरण प्रणाली में घपले के साक्ष्यों को मिटाने के उद्देश्य से तो रजिस्टर गायब नहीं हुए हैं। आयोग में सुनवाई के दौरान विभाग के अधिकारियों का कहना था कि हरिद्वार के कुछ क्षेत्रों में आरटीआई कार्यकर्ता के नाम पर कुछ लोग गिरोहबंद तरीके से सूचना अनुरोध पत्र लगाकर और विक्रेताओं से राशन वितरण से संबंधित सूचना मांगा करते हैं। आयोग ने एक ही सूचना कई व्यक्तियों द्वारा एक साथ मांगे जाने व सूचना प्राप्त करने के नाम पर अवलोकन के लिए एक साथ राशन विक्रेता के यहां पर कार्यालय में पहुंचने को भी गंभीरता से लिया है।

धारा 18 में दर्ज अनुज कुमार की शिकायत पर राज्य सूचना आयुक्त ने सुनवाई के दौरान कहा कि शिकायतकर्ता अपने सहयोगियों के साथ संगठित गिरोह के रूप में राशन विक्रेताओं से सूचना मांगते हैं तो इससे उनकी मंशा पर सवाल उठता है। सूचना का अधिकार अधिनियम यदि जनहित में पारदर्शी व्यवस्था के लिए हो रहा है तो यह उचित है लेकिन यदि इसका इस्तेमाल अवांछित किया जा रहा है, किसी को डरा कर स्वार्थपूर्ति की कोशिश की जा रही है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।

राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया है कि सूचना का अधिकार का इस्तेमाल सद्भावना से लोकहित में किया जाता है तो यह लोकतंत्र की ताकत बन जाता है और जब इसका दुरूपयोग होता है तो सिस्टम के लिए खतरा बन जाता है। आयोग ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए शिकायतकर्ता को चेताया कि सूचना अधिकार जवाबदेह नागरिकों के हाथ में है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और जवाबदेह पारदर्शी के लिए दुर्जेय औजार है। इसे राष्ट्र के मध्य नागरिकों में शांति सामंजस्य भंग करने के दुरूपयोग करने वाला औजार लिए के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

आयोग का कहना है कि बिना उचित कारण के और भ्रष्टाचार संबंधी मामलों को तार्किक अंत तक पहुंचाने की इच्छा व्यक्त के किए बिना सूचना आवेदन नहीं लगाना चाहिए।

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