उत्तराखंडः राज्य आंदोलन के ‘फील्ड मार्शल’ दिवाकर भट्ट नहीं रहे
यूकेडी की स्थापना से राज्य आंदोलन और कैबिनेट मंत्री तक उनकी भूमिका

Field Marshal Diwakar Bhatt passes away : हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी नेता, उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट का मंगलवार को निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे 79 वर्षीय भट्ट ने हरिद्वार स्थित तरुण हिमालय परिसर में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। दिन में उन्हें देहरादून के इंद्रेश अस्पताल से छुट्टी देकर घर लाया गया था, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उनकी हालत बिगड़ गई और वे जीवन की जंग हार गए। उनके निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई।
खबरों के मुताबिक दिवाकर भट्ट लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। इलाज के दौरान कुछ समय उनकी तबीयत में सुधार भी आया, लेकिन बीते दिनों उनकी स्थिति लगातार नाजुक बनी रही। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के थे प्रमुख स्तंभ
राज्य आंदोलन में दिवाकर भट्ट की भूमिका बेहद अहम रही। वर्ष 1968 में छात्र राजनीति से सक्रियता की शुरुआत करने वाले भट्ट उत्तराखंड की आवाज को राष्ट्रीय पटल तक पहुंचाने वाले शुरुआती नेताओं में शामिल थे। वर्ष 1979 में उत्तराखंड क्रांति दल के गठन के समय वे संस्थापकों में रहे और संगठन को जन-जन तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई। बीएचईएल हरिद्वार में कर्मचारी नेता के रूप में वे जंगल कानून विरोधी आंदोलन, रोजगार, भूमि अधिकार और प्रशासनिक सुधार जैसे मुद्दों पर लगातार संघर्षरत रहे। वन अधिनियम विरोधी आंदोलन के दौरान वे लंबे समय तक जेल में भी रहे।
पर्वतीय गांधी ने दी थी फील्ड मार्शल की उपाधि
राज्य आंदोलन के दौरान श्रीयंत्र टापू आंदोलन से लेकर टिहरी के खैट पर्वत और पौड़ी में किए गए आमरण अनशन तक भट्ट के नेतृत्व ने आंदोलन को नई दिशा दी। खैट अनशन के बाद केंद्र सरकार को वार्ता के लिए मजबूर होना पड़ा था। उत्तराखंड के गांधीवादी चेहरे इंद्रमणि बडोनी ने उन्हें संघर्षों में अग्रणी भूमिका के लिए “उत्तराखंड का फील्ड मार्शल” की उपाधि दी थी।
2007 की सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री
राज्य गठन के बाद 2007 में भाजपा-उक्रांद गठबंधन सरकार में दिवाकर भट्ट को राजस्व, आपदा प्रबंधन, महिला कल्याण सहित कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी मिली। बतौर राजस्व मंत्री उनका सख्त भू-कानून आज भी राज्य की भूमि सुरक्षा नीति की मजबूत नींव माना जाता है। उनकी कार्यशैली स्पष्टवादिता, संघर्षप्रियता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता से परिपूर्ण रही।
इन्होंने जताया उनके निधन पर शोक
उनके निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य निर्माण आंदोलन और जनसेवा में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उक्रांद के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी ने इसे पूरे उत्तराखंड के लिए अपूरणीय क्षति बताया। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
कल हरिद्वार में होगा अंतिम संस्कार
परिजनों के अनुसार दिवाकर भट्ट का अंतिम संस्कार बुधवार को हरिद्वार में किया जाएगा। उनके निधन से उत्तराखंड राज्य आंदोलन का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया है।



