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तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद

रुद्रप्रयाग। तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट गुरुवार पूर्वाह्न 11ः30 बजे विधि-विधान और शुभ मुहूर्त में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह डोली अपने पहले पड़ाव चोपता के लिए रवाना हुई। लगभग 500 से अधिक श्रद्धालु इस अवसर के साक्षी बने।

गुरुवार को सुबह मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला गया, जिसके बाद नियमित पूजा-अर्चना सम्पन्न हुई। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में 10ः30 बजे से कपाट बंद करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। भोग, यज्ञ और हवन के बाद भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप देकर पूर्वाह्न 11ः30 बजे कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए। जिसके बाद चल विग्रह डोली ने ढ़ोल-नगाड़ों के साथ चोपता के लिए प्रस्थान किया।

बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने बताया कि इस यात्रा वर्ष में डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु तुंगनाथ के दर्शनों को पहुंचे। कहा कि डोली के मर्कटेश्वर मंदिर, मक्कूमठ पहुंचने के बाद भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा आरंभ होगी।

बीकेटीसी उपाध्यक्ष विजय कप्रवाण, ऋषि प्रसाद सती, सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने तुंगनाथ यात्रा को सफल बताया। मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि देवडोली शुक्रवार को दूसरे पड़ाव भनकुन प्रवास के बाद 8 नवंबर को मक्कूमठ पहुंचेगी।

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