ghazalkar payash pokhara
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गढ़वाली

गज़ल (गढ़वाली)
दुन्यांदरि को म्वाल भौ बिंगणि रैंद जिंदगि । कभि मैंगी कभि सस्ति बिकणि रैंद जिंदगि ।। उत्यड़ौ फर उत्यड़ा अर…
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दुन्यांदरि को म्वाल भौ बिंगणि रैंद जिंदगि । कभि मैंगी कभि सस्ति बिकणि रैंद जिंदगि ।। उत्यड़ौ फर उत्यड़ा अर…
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