कवियत्री साईनीकृष्ण उनियाल
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गढ़वाली
सांसु कनु छौं (गढ़वाली गजल)
सांसु कनु छौ सच लिखणू छौ हरबि रिटणू छौं।क्वांसु पराण,छौं मिलनसार फिर बि रिटणू छौं।।घर-बौण, गौं-गौला छुटिन जै आराम का…
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सांसु कनु छौ सच लिखणू छौ हरबि रिटणू छौं।क्वांसु पराण,छौं मिलनसार फिर बि रिटणू छौं।।घर-बौण, गौं-गौला छुटिन जै आराम का…
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