
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के दावों के बावजूद कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सहमे हुए लग रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस को तो यह डर भी सताने लगा है कि 10 मार्च को त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी तो भाजपा सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। ऐसे में वह पहले ही अपने लिए जिताऊ प्रत्याशियों को सुरक्षित जगह पहुंचाने की तैयारी कर रही है।
विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला, तो इस बार उसने पहले 60 प्लस का नारा दिया और फिर इससे किनारा कर आखिरी दौर में मोदी-धामी सरकार के नारे तक पहुंच गई। बावजूद इसके उसे प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों पर जिस तरह के फीडबैक मिलने की चर्चा है, उससे वह सहमी हुई बताई जा रही है। मतदान के बाद से आज तक कई विधायकों के भितरघात के आरोप और हाल के दिनों में राज्य के आला नेताओं को अचानक ही दिल्ली तलब करने कोशिशें इस ओर इशारा कर रही हें।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए इसबार एड़ी चोटी का जोर लगाया। मतदान के दिन से आज तक वह माहौल को ‘परिवर्तन’ गामी बता रही है। यहां तक कि पूर्व सीएम हरीश रावत समेत उनके आला नेताओं ने 45 पार का दावा किया है। लेकिन अब उसे कई सीटों पर मुकाबला कड़ा दिखने लगा है। दूसरी तरफ भाजपा की अति सक्रियता ने उसके कान खड़े कर दिए हैं। जिसके चलते उसे कुछ खतरे जैसी आशंका भी है। हालांकि कांग्रेस नेता फिलहाल सार्वजनिक तौर पर इस बात को कबूल करने के लिए तैयार नहीं।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है 2022 का चुनावी रिजल्ट 2012 के जैसा हो सकता है। तब कांग्रेस को 32 और भाजपा को 31 सीटें हासिल हुई थी। सरकार बनाने में कांग्रेस को कामयाबी मिली थी। लेकिन जानकार यह भी कह रहे हैं कि 2022 की भाजपा 2012 वाली भाजपा नहीं है। कांग्रेस 2016 में ही उसका आधात झेल चुकी है।
दूसरा कांग्रेस के सामने बीते वर्षों में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के उदाहरण भी मौजूद हैं। जिससे चलते बताया जा रहा है कि कांग्रेस के सियासी हलके में संभावित जिताऊ प्रत्याशियों को परिणाम से पहले ही किसी सुरक्षित जगह भेजा जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस बात से फिलहाल इंकार किया है। हालांकि वह यह जरूर कहते हैं कि भाजपा जोड़ तोड़ के लिए कोई भी दांव चल सकती है।