
देहरादून। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से कथाकार मुकेश नौटियाल के नवीनतम कहानी संग्रह ‘सीमांत लोक की कहानियां’ का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर संग्रह की कहानियों पर साहित्यकारों ने विमर्श किया। काव्यांश प्रकाशन से प्रकाशित कथा संग्रह में कहानीकार की बीते तीन दशकों में लिखी 24 कहानियां संकलित हैं।
शोध के केंद्र के सभागार में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार जितेन ठाकुर ने कहा कि मुकेश नौटियाल की कहानियां पर्वत प्रांतर के विश्वासों और परंपराओं से उपजती हैं। इनमें वह हिमालय के तमाम बिंबों को समेटते हुए एक मायावी और अनूठा संसार रचते हैं। वह विद्यासागर नौटियाल, शैलेश मटियानी, शेखर जोशी और शिवानी की परंपरा को आगे बढ़ाते नज़र आते हैं।
“उत्तरांचल“ पत्रिका के संपादक सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप’ ने कहा कि तेज़ी से बदलते समय में समाज में पुरानी मान्यताएं, विश्वास और मूल्य त्वरित गति से बदल रहे हैं। ऐसे में लेखकों, कवियों और साहित्यकारों का दायित्व है कि वे समय को अपनी रचनाओं में दर्ज करें, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों की शिनाख्त कर सकें।
डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने मुकेश नौटियाल को लोक में प्रचलित मान्यताओं और समाज के संत्रास को विश्वसनीयता से व्यक्त करने वाला कथाकार बताया। कहा कि उनकी कहानियां पढ़ते हुए दरअसल हम हिमालयी समाज से सीधा साक्षात्कार कर रहे होते हैं। रूम टू रीड की राज्य प्रबंधक पुष्पलता रावत ने मुकेश नौटियाल की उन कहानियों की चर्चा की जो विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही हैं।
शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने पुस्तक की समीक्षा की। कहा कि मुकेश नौटियाल का यह संकलन अतीत से जुड़ी कहानियों का एक अद्भुत कोलाज है। कहानियां मानवीय संवेदनाओं व प्रकृति संरक्षण से युक्त हैं, जो बच्चों की जिज्ञासा बढ़ाने के साथ ही उनके सवालों का समाधान भी खोजती हैं।
मुकेश नौटियाल ने कहा कि उनकी कहानियों में दर्ज घटनाएं और चरित्र वस्तुत उनके अपने परिवेश से ही उपजते हैं। कहा कि प्रभावशाली लेखन के लिए वृहद अध्ययन ज़रूरी है। काव्यांश प्रकाशन के प्रबोध उनियाल ने पुस्तक को युवा पाठकों के लिए पठनीय बताया, कहा कि साहित्य के संस्कार विकसित करने के लिए सरल और सहज प्रकृति की ऐसी ही कहानियों की आज सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन बीना बेंजवाल ने किया। मौके पर मोहन चौहान, मनोहर पंवार ’मनु’, विजय भट्ट, कमला पंत, योगेंद्र सिंह नेगी, शूरवीर सिंह रावत, चंदन सिंह नेगी, शशिभूषण बडोनी, प्रेम साहिल, सत्यभूषण बडोनी, शैलेन्द्र नौटियाल, डॉली डबराल, संजय कोठियाल, समदर्शी बड़थ्वाल, दिनेश चंद्र जोशी, सुरेन्द्र सिंह सजवाण, मनीष ओली, डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी, आलोक सरीन, हर्ष मणि भट्ट, सुंदर सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।