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Rishikesh: स्वाभिमान महारैली में सड़कों पर उतरा जनसैलाब, देखें वीडियो

• मूल निवास 1950 और मजबूत भू कानून की मांग, राज्य आंदोलन की यादें हुई ताजा

ऋषिकेश। मूल निवास और भू-कानून की मांग को लेकर रविवार को आयोजित स्वामिभमान महारैली में सड़कों पर जनसैलाब उमड़ा। आईडीपीएल से त्रिवेणीघाट तक निकली इस महारैली में ऋषिकेश के साथ ही प्रदेश भर से हजारों लोगों ने जोश के साथ शिरकत की। रैली में सबसे अधिक संख्या मातृशक्ति और युवाओं की रही। ऋषिकेश दशकों बाद इस महारैली में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर की यादें ताजा कर दी।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर आयोजित स्वाभिमान महारैली के आईडीपीएल हॉकी मैदान में शुरूआत से पहले संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने नटराज चौक पर उत्तराखंड राज्य निर्माण के नायक स्व. इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद आईडीपीएल से त्रिवेणीघाट के लिए महारैली शुरू हुई।

इससे पूर्व मोहित डिमरी ने कहा कि 40 से ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों की शहादत के बाद हासिल उत्तराखंड राज्य 24 साल बाद भी अपनी पहचान के संकट से जूझ रहा है। मूल निवासियों को उनका वाजिब हक नहीं मिल पाया है, अब हालात इतने खतरनाक हो चुके हैं कि मूल निवासी अपने ही प्रदेश में दोयम दर्जे के नागरिक बनते जा रहे हैं। आज मूल निवासियों को ना नौकरी मिल रही और ना ठेकेदारी। हर तरह के संसाधन मूल निवासियों के हाथों खिसकते जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 लागू करने के साथ ही प्रदेश में मजबूत भू-कानून लागू किया जाना बेहद जरूरी है। यह मसला यहां की पहचान और भविष्य से भी जुड़ा है। मूल निवास की लड़ाई जीते बिना उत्तराखंड का भविष्य असुरक्षित है। कहा कि ऋषिकेश ही नहीं पूरे उत्तराखंड में जमीनों की खुली बंदरबांट चल रही है। इससे राज्य की डेमोग्राफी बदल गई है। हमारे लोगों को जमीन का मालिक होना था और वे लोग नौकर और चौकीदार बनने के लिए विवश हैं। हम अपने लोगों को नौकर नहीं मालिक बनते हुए देखना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि आज ऋषिकेश अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा है। सरेआम मूल निवासियों को मारा-पीटा जा रहा है। ड्रग्स और नशे के कारोबार कारण हमारे बच्चों का भविष्य ख़त्म हो रहा है। संघर्ष समिति के सह संयोजक लुसुन टोडरिया और सचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा कि उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें, इसके लिए मूल निवास 1950 और मजबूत भू-कानून लाना जरूरी है।

समिति से जुड़े हिमांशु बिजल्वाण, कोर मेंबर सुरेंद्र नेगी, हिमांशु रावत ने कहा कि जिस तरह प्रदेश के मूल निवासियों के हक हकूकों को खत्म किया जा रहा है, उससे एक दिन प्रदेश के मूल निवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो जाएगा। समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी और कुमांऊ संयोजक राकेश बिष्ट ने कहा कि अगर सरकार जनभावना के अनुरूप मूल निवास और मजबूत भू-कानून लागू नहीं करेगी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।

सामाजिक कार्यकर्ता एलपी रतूड़ी, विकास सेमवाल, हर्ष व्यास, सुदेश भट्ट, हिमांशु पंवार, अनिल डोभाल, गोकुल रमोला, कुसुम जोशी, पंकज उनियाल, प्रमोद काला, उषा डोभाल, सुरेंद्र रावत, आशीष नौटियाल, नमन चंदोला, शूरवीर चौहान, नीलम बिजल्वाण, केपी जोशी ने कहा कि इस आंदोलन को प्रदेशभर से लोगों का मजबूत समर्थन मिल रहा है। कहा कि पिछले साल 24 दिसंबर को देहरादून में हुई महारैली के बाद हल्द्वानी, टिहरी, श्रीनगर और कोटद्वार, गैरसैंण के बाद अब ऋषिकेश में जिस तरह से जनसैलाब उमड़ा है, उससे स्पष्ट है कि राज्य के लोग अपने अधिकारों, सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व को बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हैं।

त्रिवेणीघाट पर महारैली के समापन पर समिति के संयोजक मोहित डिमरी और अन्य ने समूचे जनसैलाब का आभार जताया और इस लड़ाई को आखिरी तक लड़ने का संकल्प दोहराया। कार्यक्रम का संचालन प्रांजल नौडियाल और संजय सिलस्वाल ने किया।

प्रमुख मांगे
1- प्रदेश में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 घोषित की जाए। इसके आधार पर मूल निवासियों को सरकारी और प्राइवेट नौकरियों, ठेकेदारी, सरकारी योजनाओं सहित तमाम संसाधनों में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाय।
2- प्रदेश में मजबूत भू-कानून लागू हो, जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में 200 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू किया जाए तथा इसकी खरीद के लिए 30 वर्ष पहले से उत्तराखंड में रहने की शर्त लागू हो।
3- प्रदेश के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि खरीदने-बेचने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे।
4- राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को बेची गई और दान व लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
5- प्रदेश में किसी भी तरह के उद्योग के लिए जमीन को 10 साल की लीज पर दिया जाय। इसमें भी पचास प्रतिशत हिस्सेदारी स्थानीय लोगों की तय की जय और ऐसे सभी उद्यमों में 90 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। जिस उद्योग के लिए जमीन दी गई है, उसका समय-समय पर मूल्यांकन किया जाय। इसी आधार पर लीज आगे बढ़ाई जाय।

स्वाभिमान यात्रा निकालेगी संघर्ष समिति
ऋषिकेश में रैली के बाद मूल निवास आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए जल्द ही अगले कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। मोहित डिमरी ने बताया कि मूल निवास और भू-कानून आंदोलन को घर-घर में ले जाया जाएगा। जल्द ठोस कार्यक्रम बनाकर पूरे प्रदेश में स्वाभिमान यात्रा शुरू की जाएगी। बताया कि चरणबद्ध तरीके से समिति विभिन्न कार्यक्रम करेगी। गांवों से लेकर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में युवाओं से संवाद किया जाएगा। इस बाबत जल्द ही कार्यक्रम का ऐलान किया जाएगा।

जनसंगठनों के साथ राजनीतिक लोग भी हुए शामिल
मूल निवास और भू कानून को लेकर आयोतिज महारैली में सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों, पूर्व सैनिकों, पूर्व कर्मचारियों, मातृशक्ति के साथ ही राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने भी बड़ी संख्या में शिरकत की। यहां तक की रैली की सफलता के लिए ऐसे लोग अपने राजनीति दलों के मोह को छोड़ कर सड़कों पर उतरे।

उत्तराखंड राज्य आंदोलन की यादें हुई ताजा
मूल निवास और भू कानून को लेकर आयोजित स्वाभिमान महारैली में हजारों की संख्या में उमड़े लोगों, मातृश्क्ति ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर को फिर से ताजा कर दिया। खास कर राज्य आंदोलन का प्रमुख नारा ‘बोल पहाड़ी हल्ला बोल’ हर किसी की जुबा पर था। रैली में शरीक पुराने लोग मूल निवासियों की सड़कों पर उतरी इस तादाद को देखकर भावी पीढ़ी के भविष्य के प्रति आशांवित दिखे।

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