गैरसैंण में अफसरशाही के आगे झुकती दिखी सरकारः यशपाल आर्य

Politics Uttarakhand: देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि गैरसैंण बजट सत्र में सरकार गलत जवाबों, संवादहीनता, असंवेदनशीलता और हठधर्मिता के कारण संसदीय परंपराएं तार-तार हुई हैं। आर्य ने सरकार पर नौकरशाही के आगे नतमस्तक होने का आरोप भी जड़ा। कहा कि सरकार विपक्ष के सवालों का सीधा जवाब देने से भागती रही।
दून स्थित विधानसभा भवन में मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि कांग्रेस विधानमडंल दल ने बजट सत्र में जनता के हर प्रश्न को उठाने की कोशिश की। लेकिन सरकार हर मामले में असंवेदनशील व अनुभवहीन सिद्ध हुई। कांग्रेस ने प्रश्नकाल, कार्य स्थगन, बजट पर सामान्य चर्चा और अन्य स्वीकृत नियमों के अंर्तगत बेरोजगारों के उत्पीड़न, नकल माफिया, पुरानी पेंशन की बहाली, जोशीमठ समेत आपदा, भूमिधरी आदि मामलों को उठाया। लेकिन सरकार सीधा जबाब देने से भागती रही।
उन्होंने कहा कि, बजट सत्र को दो दिन पहले ही स्थगित कर दिया गया, जिससे उद्यान समेत कई अन्य विभागों के घोटालों और जनता से जुड़े सवालों पर चर्चा नहीं हो सकी। आरोप लगाया कि सरकार को जनता के प्रश्नों को हल करने में कोई रुचि नहीं है। कहा कि, राज्य आंदोलनकारियों क्षैतिज आरक्षण के बिल को कैबिनेट मंजूरी के बाद भी सरकार ने सदन में नहीं रखा, और न ही कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत के इस विषय पर प्राइवेट मेंबर बिल को सदन में आने दिया। बताया कि, राज्य के सैकड़ां ऐसे विषय हैं जो बिल लाकर कानून बनने की बाट जोह रहे हैं, तब भी सरकार सत्र के लिए बिजनेस न होने के बात कर रही हो तो सिद्ध हो जाता है कि, भाजपा को केन्द्र की संसद से लेकर राज्य की विधानसभाओं तक संसदीय प्रणाली के शासन को चलाने में कोई रुचि नहीं है।
आर्य ने बजट 2023-24 को दिशाहीन बताते हुए आलोचना भी की। उन्होंने इसे महंगाई बढ़ाने वाला बजट कहा। कहा कि यह पूरी तरह से ‘कर्ज लेकर घी पीने वाला’ बजट बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 19,460 करोड़ रुपए का ऋण लेने का अनुमान लगाया है। 2017 से आज तक सात सालों तक का सरकार द्वारा लिए गए कर्ज को जोड़ा जाए तो यह 99, 749 करोड़ रुपया होता है। जबकि 2017 तक की सभी सरकारों ने 17 वर्षों में केवल 35 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया। कहा कि, सरकार ने राज्य पर कितना कर्ज है, इस सवाल का भी जवाब नहीं दिया। दावा किया कि राज्य पर आज लगभग एक लाख 20 करोड़ से अधिक कर्जा निकलेगा। यानि की मौजूदा बजट से अधिक राज्य पर कर्ज है।
आर्य ने कहा कि सरकार ने सात साल में लिए कर्ज की आश्वयकता, इससे उत्पादकता, रोजगार सृजन, जनकल्याणकारी योजनाओं से संबंधित प्रश्नों का भी जवाब नहीं दिया। कर्ज और देनदारी को कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 25 प्रतिशत तक रखने की राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) की सीमा को उत्तराखंड 2019-2020 में ही लांघ चुका है। कहा कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक सरकार की आटस्टैंडिंग लाइबलिटीज जीएसडीपी का 28.2 प्रतिशत हो जाएगी। जो खतरे के संकेत से 3.2 प्रतिशत अधिक है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस विधायकों ने चिंता है कि जब सरकार बजट का बड़ा हिस्सा करीब 15 प्रतिशत पुराना कर्जा और ब्याज में खर्च करेगी तो शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य आदि पर खर्च के लिए क्या बचेगा? कहा कि बजट में पर्वतीय अंचलों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए भी कुछ खास नहीं है। मौके पर विधायक प्रीतम सिंह, फुरकान अहमद, ममता राकेश, अनुपमा रावत, वीरेंद्र जाति, रवि बहादुर, कांग्रेस मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि मौजूद थे।