![](https://shikharhimalaya.com/wp-content/uploads/2022/01/kundli-milan.jpg)
विवाह के लिए कुंडली मिलान में क्या जरूरी है। गुणों को मिला देना, मंगल दोष देखना या फिर ग्रहों का मिलान करना। इसी संदर्भ को लेकर ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल अपना मत बताते हैं। उनके अनुसार एक मजबूत और सुखी रिश्ते के लिए ग्रहों की स्थिति को देखा जाना अधिक जरूरी है। न कि सिर्फ गुणों की संख्या को।
घिडिल्याल कहते हैं कि सनातन धर्म परंपरा में विवाह का मूलाधार कुंडली मिलान है। इसमें चूक का आशय है जीवन पर्यन्त कष्टों को झेलना। कहा कि आजकल अधिकांश लोग महंगी से महंगी शादी में कुंडली मिलान के लिए बेहद सस्ता और त्वरित रास्ता अपनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के बारे में अल्पज्ञ लोगों से परामर्श करते हैं। जो कि मात्र गुणों के मिलान या मांगलिक दोष की स्थितियों की जानकारी भर देकर संतुष्ट कर देते हैं। इसके अलावा एप के जरिए भी यह काम कर लिया जाता है। मगर, यह सही रास्ता नहीं है।
वह बताते हैं कि विवाह के लिए गुणों का मिलान उतना आवश्यक नहीं है, जितना ग्रह का मिलान है। केवल मंगल दोष होने से कुंडली खराब नहीं हो जाती है, मंगल तो अमंगल कर ही नहीं सकता है। बस उसकी समीक्षा सही होनी चाहिए। जब शादी का आधार मजबूत होगा तो समस्याएं अपने आप हल होती चली जाएंगी।
लिहाजा, विवाह से पहले कुंडली का परीक्षण अवश्य करा लेना चाहिए। सुखद जीवन के लिए ऐसे समय पर ज्योतिष का मार्गदर्शन अहम माना जाता है। वह कहते हैं विवाह के बाद भले ही धार्मिक रूप से मंत्र शक्तियों के द्वारा समस्याओं को हल करने के प्रयास किए जाते हैं, किंतु इससे पहले ही विवाह के समय सभी विषयों को देख लिया जाए तो यह शुभकर होता है।
(नोट – ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। कैंप कार्यालय- सी- 800, आईडीपीएल कॉलोनी, वीरभद्र, ऋषिकेश। मोबाइल -9411153845)