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इन्द्रमणि बडोनी स्मृति सम्मान से नवाजे गए वयोवृद्ध ढोलवादक शिवजनी

स्व. इंद्रमणि बडोनी की पुण्यतिथि पर सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन आयोजित

चमियाला (टिहरी गढ़वाल)। उत्तराखंड के वयोवृद्ध ढोल वादक शिवजनी को इन्द्रमणि बडोनी स्मृति सम्मान 2023 से नवाज आ गया। एक दौर में शिवजनी इंद्रमणि बडोनी के सांस्कृतिक दल का हिस्सा थे। समारोह में उनके सहयोगी गिराज का माल्यार्पण भी किया गया।

उत्तराखण्ड के गांधी नाम से प्रसिद्ध स्व. इन्द्रमणि बडोनी की 24वीं पुण्यतिथि पर इन्द्रमणि बडोनी चैरिटेबल ट्रस्ट, इन्द्रमणि बडोनी कला एवं साहित्य मंच की ओर से सम्मान समारोह व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। समाजसेवी आनन्द व्यास की अध्यक्षता में आयोजित समारोह की शुरुआत में स्वर्गीय बडोनी को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई।

इस अवसर पर वयोवृद्ध ढोलवादक शिवजनी को इन्द्रमणि बडोनी स्मृति सम्मान-2023 के रूप में शॉल, प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र के साथ ही 21 हजार रूपये की सम्मान राशि प्रदान की गई। कार्यक्रम में शिव सिंह रावत व जयकृत सिंह नेगी को भी स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। समारोह में उनके सहयोगी गिराज का माल्यार्पण भी किया गया।

विशिष्ट अतिथि साहित्यकार एवं फिल्म अभिनेता मदन मोहन डुकलाण ने कहा कि जब इन्द्रमणि बडोनी को वाशिंगटन टाइम्स और बीबीसी जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा ‘ Mountain’s Gandhi (पहाड़ का गांधी)’ जैसी उपाधि से नवाजा गया तो प्रत्येक पहाड़ी का सिर गर्व से ऊपर उठ गया। कहा कि उनका उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में विशेष योगदान रहा है। आज वह जीवित होते तो राज्य की दिशा और दशा कुछ और होती।

समारोह के सूत्रधार विनोद बडोनी ने कहा कि इन्द्रमणि बडोनी कुशल राजनेता के साथ एक प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी भी थे। इसीलिए उनकी स्मृति में दिये जाने वाला यह सम्मान वयोवृद्ध ढोलवादक शिवजनी को दिया गया। शिवजनी उनके सांस्कृतिक दल का अभिन्न हिस्सा भी रहे हैं। डॉ. पवन कुदवान ने मीराबेन व बडोनी के वार्तालाप के साथ महात्मा गांधी की तरह ही उनके आत्मनिर्भर गाँव के संकल्प का उल्लेख किया। लोकेन्द्र जोशी ने वर्तमान राजनेताओं को बडोनी के जीवन से प्रेरणा देने और उनके आदर्शों को अपनाने की सलाह दी।

इन्द्रमणि बडोनी कला एवं साहित्य मंच घनसाली के सचिव विनोद शाह ने मंच का संक्षिप्त परिचय दिया। चन्द्रमा प्रोडक्शन के संचालक बचन सिंह रावत ने स्व. बडोनी से जुड़े संस्मरणों को साझा किया। कहा कि ग्राम प्रधान, ब्लाक प्रमुख व विधायक रहने होने के बाद भी उन्होंने कोई धन संचय नहीं किया। जीवन के अन्तिम पड़ाव में विषम आर्थिक परिस्थितियों में रहे। इस अवसर पर रावत ने आयोजकों की मदद के साथ शिवजनी को 21 हजार रूपये और गिराज को 5 हजार रुपए देकर सम्मानित किया l

समापन पर मुख्य अतिथि शिक्षाविद् आचार्य सच्चिदानन्द जोशी ने अपने संबोधन में स्व. इंद्रमणि बडोनी की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम के लिए आयोजकों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में ढोलवादक शिवजनी ने ढोलवादन की प्रस्तुति भी दी। वहीं इंद्रमणी बडोनी द्वारा पूर्व में निर्देशित माधो सिंह भंडारी भाव नाटिका में चम्पू हुड़क्या और उदीना के लोकप्रिय कलाकार बालकृष्ण नौटियाल और कुंवर सिंह नेगी के नेतृत्व में केदार नृत्य की प्रस्तुति हुई l

समारोह में यह रहे मौजूद
शिक्षक हृदयराम अन्थवाल, मनोज असवाल, राजेंद्र रावत, गोपाल दत्त सकलानी, वीरेंद्र सिंह राणा, राजेश गुसाईं, राजेंद्र प्रसाद बडोनी, रामेश्वर प्रसाद बडोनी, सूरत सिंह पंवार, हुकम सिंह रावत, संतोष सकलानी, विक्रम सिंह नेगी, रणवीर राणा, राजेश नेगी, बलीराम नौटियाल, केशर सिंह रावत, चंदन सिंह पोखरियाल, बरफ सिंह पोखरियाल आदि मौजूद थे। संचालन संस्कृतिकर्मी व शिक्षक गिरीश बडोनी जी ने किया।

कवियों ने सामाजिक विषयों पर सुनाई रचनाएं
कवि सम्मेलन में युवा कवि अनिल सिंह नेगी ने समाज में ‘काकटेल’ की कुप्रथा पर प्रहार किया। आशीष सुन्दरियाल ने ‘गौं’ कविता सुनाई। बेलीराम कंसवाल ने ‘हे! देहरादूण, इनै सूण’ से को सुनाकर शहर व गाँव के द्वन्द्व से अवगत कराया। हरीश बडोनी ने स्व. बडोनी को समर्पित रचना ‘ढम बजौ ढोल बड़ा, तब मिसौ बोल रे बड़ा’ को प्रस्तुत किया। प्रकाश बिजल्वाण ने प्राकृतिक आपदा के दर्द को ‘न जीवन बचा न घरों की निशानी… पहाडो पे टूटा पहाडों का पानी… ‘ गीत के जरिए बयां किया। आरबी सिंह ने समाज को नशामुक्त करने का आह्वान किया। मनोज रमोला ने एक गीत- जाण बैठिग उलार्या चौमास, द्योरू भी भिंडी बरखी नी ऐंसू’ के रूप में अपनी प्रस्तुति दी।

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