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विस बैकडोर भर्तीः … आगे आगे देखिए होता है क्या?

Politics of Uttarakhand: विधानसभा बैकडोर भर्ती की जांच और कार्यवाही को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्पीकर ऋतु भूषण खंडूरी के मौजूदा रूख में किंतु परंतु की गुंजाइश नहीं रही, तो पूर्व विधानसभा अध्यक्षों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसकी एक वजह 2024 के लोकसभा चुनाव को भी माना जा रहा है।

यूकेएसएसएससी पेपर लीक प्रकरण के बाद जिस तरह से विधानसभा बैकडोर भर्ती का मामला पब्लिक डोमेन में वायरल हुआ, उसने न सिर्फ बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं के आक्रोश को हवा दी, बल्कि सियासत को भी झकझोर दिया। खासकर इस मामले के राष्ट्रीय स्तर पर उछलने से बीजेपी के भीतर लगातार दबाव बढ़ता बताया जा रहा है।

ऐसे में सीएम धामी की कोशिश होगी कि इस विवाद को ज्यादा लंबा न खिंचने दिया जाए। क्योंकि 2024 के लोकसभा के चुनाव के लिए अब कम समय बचा है, कदाचित उस चुनाव में पार्टी राज्य की पांचों सीटों पर हैट्रिक नहीं लगाने से चूक गई, तो इसका असर स्वयं धामी के सियासी रसूख पर पड़ सकता है।

शायद यही वजह है कि सीएम धामी ने यूकेएसएसएससी पेपर लीक प्रकरण में शिंकजा कसना शुरू किया, तो विधानसभा बैकडोर भर्ती पर भी जांच की सिफारिश में देरी नहीं की। जिसके बाद का काम की शुरूआत विधानसभा सचिव का दफ्तर सील करने के साथ ही तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर स्पीकर ऋतु भूषण खंडूरी ने कर दी।

उनके द्वारा जांच के लिए महज एक महीने का समय देने से माना जा रहा है कि बीजेपी अपनी सियासी फिजा को बरखिलाफ होने की बजाए सख्त फैसलों पर आगे बढ़ सकती है। इसका इशारा सीएम और स्पीकर दोनों ने ही अपने बयानों से दिया भी है। इसलिए उन्होंने खासकर युवा वर्ग को आश्वस्त करने की कोशिश भी की है। क्योंकि यही वर्ग मौजूदा दौर में इसी वर्ग को उनके कोर वोट बैंक के तौर देखा जाता है। लिहाजा, बीजेपी 2024 में इसे कतई नहीं गंवाना चाहेगी।

पूर्व स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल विशेषाधिकार और नियमानुसार की बात कहकर भले ही अपने पक्ष को सही ठहराते रहे हों और गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी भर्ती की बात को कबूल किया है, फिर भी उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीएम धामी का जीरो टॉलरेंस का दावा कायम रहा तो इसका खामियाजा दोनों पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के साथ विधानसभा सचिव को भी भुगतना पड़ सकता है।

ऐसे में सियासी जानकार जहां फिलवक्त जांच की घोषणा को पॉजिटिव वे में मानकर चल रहे हैं। बावजूद वह दोहराने से नहीं चूक रहे कि ‘… आगे-आगे देखिए होता है क्या?’

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