Plolitics Uttarakhand: उत्तराखंड की राजनीति में पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) भले ही हार गए हों, लेकिन उनकी सक्रियता से ऐसा लग रहा है कि वह विपक्ष की भूमिका को मजबूती देने की कोशिशों में जुट गए हैं। सोशल मीडिया पर राज्य के मसलों को लेकर उनकी पोस्ट ऐसा ही कुछ आभास करा रही हैं। अब उन्होंने ट्वीट वार को और भी तेज धार देने का ऐलान कर दिया है। संभवतः इस माध्यम वे वहे अब उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को कटघरे में खड़ा करेंगे।
सोशल मीडिया पर हरीश रावत की ताजा पोस्ट में कहा कि आजकल आप राज्य के प्रमुख समाचार पत्रों को पढ़िए तो हर समाचार पत्र में 2 से 3 खबरें ब्यूरोक्रेसी के बेलगामपन और उसको साधने के लिए माननीय मंत्रीगणों की चेतावनी या उनके द्वारा उठाए जा रहे कदम जिसमें सचिवों की सीआर लिखने के अधिकार की पुनः प्राप्ति से जुड़े हुए होते हैं। माननीय मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रीगण तक ब्यूरोक्रेसी को इस अंदाज में धमकाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जैसे अब आगे सब चुस्त-दुरुस्त हो जाएगा, अच्छी बात है।
मगर मैं एक बात समझ नहीं पा रहा हूं कि ब्यूरोक्रेसी में ये सारी खामियां चुनाव के बाद और भाजपा को दो-तिहाई बहुमत से सत्ता मिलने के बाद ही क्यों उजागर होती है! क्या इससे पहले किसी और पार्टी की सरकार थी? क्या पहले के 5 वर्षों में जो तीन मुख्यमंत्री व मंत्रीगण थे, कहीं और से आयातित थे? मंत्रियों के अंदाज और समाचारों की शब्दावली से ऐसा आभास होता है कि पहले सब गड़बड़ था, अब सब ठीक किया जा रहा है।
खैर, हम भी ठीक करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का इंतजार करते हैं! कल मैं इस विषय पर फिर से ट्वीट कर अपने विचार व्यक्त करूंगा। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं ऐसे 8-10 लगातार ट्वीट्स के द्वारा खामी कहां है, उसको आगे लाने का प्रयास करूंगा।