Uttarakhand Congress: देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद हाईकमान ने इन प्रदेशों के पार्टी अध्यक्षों से इस्तीफा मांग लिया था। उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना त्यागपत्र हाईकमान को सौंपा। अब बताया जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व गोदियाल को फिर से उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंप सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो हाईकमान ने विधानसभा चुनाव में पार्टी के हारने के कारणों की समीक्षा के साथ ही तत्कालीन प्रदेश अध्यक्षों के कामकाज का भी रिव्यू किया है। अन्य प्रदेशों के मुकाबले उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष रहे गणेश गोदियाल को सबसे कम महज 6 महीने का कार्यकाल मिला था। इस दौरान गोदियाल ने संगठन की मजबूती के लिए अथक प्रयास किए।
इस अंतराल में उनके द्वारा न सिर्फ नए कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ने की पहल की, बल्कि पुराने कार्यकर्ताओं को भी पार्टी के साथ लाने में खासी भूमिका निभाई। यहां तक कि उन्होंने भाजपा के लोगों को पार्टी में शामिल कराने का कोई मौका भी नहीं चूका। प्रदेश की 40 से अधिक विधानसभाओं तक पहुंचकर गोदियाल ने कार्यकर्ताओं को चुनाव में जीत का हौसला दिया।
यही नहीं राज्य के मसलों पर मीडिया प्लेटफार्म हो या फिर जमीन स्तर पर सत्ता पक्ष से टकराने की उनमें गजब की आक्रमकता देखी गई। हालांकि वे खुद श्रीनगर से बेहद करीबी अंतर से चुनाव हारे, और पार्टी को भी बहुमत नहीं दिला सके। मगर, बावजूद इसके 2017 के मुबाबिल 2022 में कांग्रेस की 8 सीटें बढ़ने के साथ ही वोट प्रतिशत भी 33 से आगे निकल कर 38 प्रतिशत पहुंचा।
अब बताया जा रहा है कि उनकी इन्हीं क्षमता के मद्देनजर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व एक बार फिर से गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाने पर विचार कर रहा है।