उत्तराखंड

डॉ. निधि प्रकरण में जांच का आदेश महज लीपापोतीः इंद्रेश

देहरादून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने डॉ. निधि उनियाल प्रकरण में स्वास्थ्य सचिव को निलंबित करने की मांग की है। उन्होंने इस मामले में सीएम की कार्यवाही को महज लीपापोती करार दिया।

माले नेता इंद्रेश मैखुरी ने जारी बयान में कहा कि दून अस्पताल की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निधि उनियाल को ओपीडी छोड़ कर स्वास्थ्य सचिव डॉ. पंकज पांडेय के घर, उनकी पत्नी को देखने भेजना, फिर सचिव की पत्नी का डॉ. निधि से अभद्रता करना और सचिव द्वारा डाक्टर को दून मेडिकल कॉलेज से सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज संबद्ध करने की घटना बेहद निंदनीय है। यह घटना दर्शाती है कि राज्य में अफसरशाही किस कदर बेलगाम और निरंकुश है।

उन्होंने इस प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह द्वारा की गई कार्यवाही को महज़ लीपापोती बताया। कहा कि संबद्धिकरण निरस्त करना, नाममात्र की कार्यवाही भर है। मामले की जांच के लिए केवल कमेटी बनाई गई है। कहा कि एक डॉक्टर को ओपीडी से उठा कर अपनी पत्नी को देखने के लिए भेजना प्रथम दृष्टया पद के दुरुपयोग का मामला है।

मैखुरी ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव की पत्नी द्वारा डाक्टर के साथ अभद्रता, डाक्टर पर स्वास्थ्य सचिव की पत्नी से माफी मांगने के लिए दबाव डालना और माफी न मांगने पर उन्हें तत्काल दूसरे मेडिकल कॉलेज से संबद्ध करना, स्पष्ट तौर पर निरंकुशता और अपनी शक्तियों के दुरुपयोग के उदाहरण हैं।

इंद्रेश ने कहा कि इस सब के बावजूद डॉ. पंकज पांडेय के खिलाफ न्यूनतम कार्यवाही भी न होना और उन्हें स्वास्थ्य सचिव के पद से भी न हटाया जाना दिखाता है कि धामी सरकार नौकरशाहों के सामने किस कदर लाचार है। सवाल उठाया कि पंकज पाण्डेय प्रकरण की जांच के दौरान भी स्वास्थ्य सचिव बने रहेंगे तो क्या स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच मुमकिन है?

उन्होंने कहा कि डॉ. निधि उनियाल के संबद्धिकरण को भले ही निरस्त करने का आदेश दे दिया गया हो पर वे उन्हीं पंकज पांडेय के अधीन होंगी, जिन्होंने अपनी पत्नी के अहम की तुष्टि के लिए उनका कुछ ही घंटों में देहरादून से अल्मोड़ा संबद्धिकरण कर दिया था। आशंका जताई कि पंकज पांडेय के स्वास्थ्य सचिव रहते डॉ. निधि को प्रताड़ित किए जाने का खतरा बना रहेगा।

उन्होंने मांग उठाई कि डॉ. पंकज पांडेय को स्वास्थ्य सचिव को पद के दुरुपयोग के लिए निलंबित किया जाए। साथ ही उन पर पूर्व में एनएच 74 समेत अन्य घोटालों के आरोपों की भी जांच हो।

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