
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के संभावित ‘ऑपरेशन सत्ता’ से कांग्रेस भी चौकन्नी हो गई है। सत्ता किसके हक में रहेगी, यह तो 10 मार्च को तय होगा। मगर सत्ता तक पहुंचने की जुगत अभी से लगने लगी है। भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को जिम्मेदारी सौंपी है, तो उनके सहयोग के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजय वर्गीय भी देहरादून में डेरा डाल चुके हैं। जिसके चलते पूर्व सीएम हरीश रावत को कहना पड़ गया कि लोकतंत्र के पहरूवों सावधान!! साथ ही कि कांग्रेस तो सावधान है ही।
सोशल मीडिया पर आई हरीश रावत की ताजा पोस्ट कैलाश विजय वर्गीय और भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट को लेकर है। जिसमें उन्होंने नाम लिए बिना भट्ट के बयान को शर्मनाक स्वीकारोक्ति बताया है, तो इशारों में कैलाश विजय वर्गीय को लेकर कुछ दूसरे राज्यों के चुनावों और 2016 का जिक्र भी किया है। इसलिए वह ऐसे बयान और हालात को लोकतंत्र के लिए बड़ी चेतावनी बता रहे हैं।
बकौल हरीश रावत, भाजपा के निवर्तमान विधायक की एक सार्वजनिक स्वीकारोक्ति अत्यधिक शर्मनाक है। उन्होंने दावा किया है कि दूसरी पार्टियों के निर्वाचित होने की प्रतीक्षारत उम्मीदवारों से उनकी पार्टी द्वारा संपर्क साध लिया गया है, तो निर्वाचन से पहले ही दलबदल करवाने की यह घोषणा लोकतंत्र के लिए एक बड़ी भारी चेतावनी है।
इतनी ही बड़ी चेतावनी है विधायक खरीदो अभियान के एक सिद्धहस्त भाजपाई नेता का उत्तराखंड आगमन! बंगाल में भी इन्होंने इसी तरीके की खरीद-फरोख्त की, पीटे भी। बिहार में भी इसी तरीके की खरीद-फरोख्त कोशिश की और पीटे भी। हौसला इनका बढ़ा 2016 में उत्तराखंड में की गई खरीद-फरोख्त के बाद।
अब फिर से ये पुराना शातिर खिलाड़ी उत्तराखंड पहुच चुका है। मैं कहना चाहता हूं कि उत्तराखंड के लोकतंत्र पहरूवो सावधान, कांग्रेस तो सावधान है ही है।