कालिदास के साहित्य में धर्म-कर्म और विज्ञान मौजूद
संस्कृत ग्लोबल फार्म उत्तराखंड द्वारा ऑनलाइन विचार गोष्ठी आयोजित
ऋषिकेश (शिखर हिमालय)। संस्कृत ग्लोबल फार्म उत्तराखंड प्रांत की ओर से महाकवि कालिदास के जयंती सप्ताह महोत्सव के तहत ऑनलाइन विचार गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में वक्ताओं ने कालिदास के कृतित्व पर प्रकाश डाला।
महाकवि कालिदास की वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर आयोजित ऑनलाइन गोष्ठी में मुख्यवक्ता उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. कंचन तिवारी ने कहा कि कालिदास के काव्य में पवित्रता, विज्ञान, धर्म और कर्म का मार्ग की शिक्षा विद्यमान है। कहा कालिदास ने अपने ग्रंथों में सामाजिक जीवन जीने के साथ व्यक्ति को सामाजिक होना भी बताया।
मुख्य अतिथि पुष्कर सिंह दुमका ने संस्कृत भाषा को अमृत के समान बताया। कार्यक्रम और फोरम के प्रांत के अध्यक्ष डॉ. जनार्दन प्रसाद कैरवान ने कहा कि भारत के इतिहास को सही तरह से समझने के लिए संस्कृत साहित्य का अध्ययन जरूरी है। संस्कृत साहित्य में कालिदास के ग्रंथों को पढ़ना और समझना आवश्यक है।
कार्यक्रम में डॉ. राजेश मिश्र, डॉ. शक्ति प्रसाद उनियाल, डॉ. भारती कन्नौजिया, डॉ. नवीन पंत, डॉ. हेम जोशी, डॉ. मृगांक मलासी, डॉ. देशबंधु भट्ट, चंद्रशेखर नौटियाल आदि ने प्रतिभाग किया।