उत्तराखंड

राज्य आंदोनलकारियों की मांगों का संज्ञान ले सरकार

ऋषिकेश (शिखर हिमालय)। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने चिह्निकरण की प्रक्रिया को शिथिल करने की मांग की है। उनका कहना है कि कई ऐसे आंदोलनकारी जो न घायल हुए और न ही जेल गए, लेकिन राज्य आंदोलन में उनकी सक्रियता लगातार रही। उन्हें भी राज्य आंदोलनकारी का दर्जा दिया जाना चाहिए।

दूनमार्ग स्थित गोपाल कुटी में आयोजित उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति और आंदोलनकारी मंच की बैठक में सरकार के चिह्निकरण की प्रक्रिया के साथ ही राज्य के अन्य मसलों पर को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान आंदोलन में सक्रिय रहे लोगों को कहना था कि सरकार द्वारा चिह्निकरण की घोषणा तो की गई, लेकिन मौजूदा मानकों के चलते कई लोग चिह्नित होने से वंचित ही रहेंगे।

उनका कहना था कि राज्य आंदोलनकारियों की वर्षों पुरानी अन्य मांगों, राज्य आंदोलनकारियों को राज्य निर्माण सेनानी घोषित करने, समान पेंशन, 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण, राज्य में सख्त भू-कानून और मूल निवास को 1950 के अनुरूप लागू करने पर भी सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। जिसके चलते 20 वर्ष बाद भी अलग प्रदेश की अवधारणा फलीभूत नहीं हो सकी है।

उन्होंने सरकार से एक स्वर में आंदोलनकारियों की मांगों को तत्काल लागू करने की गुहार लगाई। साथ ही चिह्निकरण की प्रक्रिया में जिला समिति के सदस्यों को अधिकार देने की मांग भी उठाई। कहा कि इस बाबत सरकार और प्रशासन से बात भी की जाएगी।

बैठक में पूर्व पालिका अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा, समिति अध्यक्ष वेदप्रकाश शर्मा, बलवीर सिंह नेगी, गुलाब सिंह रावत, गंभीर मेवाड़, विक्रम भंडारी, कुसुम लता शर्मा, ओम रतूड़ी, अनिता तिवारी, बीना बहुगुणा, दयाराम रतूड़ी, आशुतोष डंगवाल, रुकम पोखरियाल, राकेश सेमवाल, उर्मिला डबराल, पूर्णा राणा, सरोज थपलियाल, महेंद्र बिष्ट, उमेश कंडवाल, कमला रौतेला, पुष्पा रावत, आदि मौजूद रहे।

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