पैरों में अंगारे बांधे सीने में तूफान भरे…
• बसंतोत्सव में विराट कवि सम्मेलन, देररात तक खचाखच भरी रही दीर्घा
Hrishikesh Basantotsav 2025 : ऋषिकेश। हृषिकेश बसंतोत्सव में आयोजित विराट कवि सम्मेलन में देश के नामचीन कवियों ने देशप्रेम से लेकर समसामयिक विषयों पर काव्यपाठ किया। कवि सम्मेलन में बीती सोमवार को देर रात तक दीर्घा खचाखच भरी रही।
बसंतोत्सव समिति की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में मंच पर सबसे पहले कवि डॉ. राजीव राज ने ‘कारवां रुका कब जग का, ये प्रतीक्षा भ्रम है, टूटना भी क्रम है, जिंदगी की शर्त है बहते रहो’ कविता के जरिए जिंदगी के हालात बयां किए। चर्चित हास्य कवि शंभू शिखर और विनोद पाल ने अपनी रचनाओं के जरिए श्रोताओं को जमकर लोटपोट किया।
वहीं, कवि जॉनी वैरागी ने अपनी रचना ‘जिस दिन गीत मंच से मर जाएंगे, उस दिन कवि सम्मेलन मर जाएंगे..’ से मंचों से खत्म होते गीतों पर चिंता जताई। वहीं उन्होंने ‘ये सारी दुनिया, सारी इमारतें आपकी हैं, लेकिन इन पक्षियों के घोंसले आपके बाप के हैं, जो इनको उजाड़ रहे हो..’ के माध्यम से अंधाधुंध विकास के चलते पक्षियों को हो रहे नुकसान के प्रति चेताया।
कवियत्री सपना सोनी ने गीत के जरिए ‘तुम्हारे शहर में अपने महकते गीत लाई हूं, मैं दौसा की धरा से प्यार का संगीत लाई हूं, ऋषिकेश आकर लगा कि अपने घर आई हूं..’ स्थानीय कविता प्रेमियों से जुड़ने की सफल कोशिश की।
गद्य कविता के सशक्त हस्ताक्षर संपत सरल ने ‘हलाल और झटके पर बहस चल रही है, और बकरे की किसी ने मर्जी ही नहीं पूछी.. रचना से सामाजिक विद्वेष को कटघरे में खड़ा किया। एक अन्य रचना ‘आयकर वालों ने कहा सरकार के खिलाफ ज्यादा न बोला करो, छापा पड़ जाएगा, कवि बोला गबन के नाम पर एक कवि के घर में मुंशी प्रेमचन्द की रचना गबन मिलेगी, और ज्यादा परेशान किया तो हम भी बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे… सुनाकर संपत सरल ने मौजूदा राजनीतिक हालातों पर करारा व्यंग्य किया।
कवि सम्मेलन के अंत में मंच पर वीर रस के प्रसिद्ध कवि हरिओम पंवार ने पैरों में अंगारे बांधे सीने में तूफान भरे, नई धरती परमाणु हथियारों से सजी है… और मैं मेंहदी पायल कंगन के गीत भी गाता हूं, मैं धरती से आतंकवाद का निपटारा गाता हूं, खूनी पंजों के हाथों में देश दिखाई देता है… रचनाओं से श्रोताओं में देशप्रेम लहर पैदा की। वहीं उन्होंने ‘मैंने कभी भगवान तो नहीं देखे लेकिन सीमा पर हमारी रक्षा करने वाले हर फौजी हमारे भगवान हैं… कविता से भारतीय सैनिकों के पराक्रम को बयां किया।
इस अवसर पर महंत वत्सल पर प्रपन्नाचार्य महाराज, हर्षवर्धन शर्मा, संयोजक दीप शर्मा, सह संयोजक वरुण शर्मा, सचिव विनय उनियाल, जयेंद्र रमोला, यमुना प्रसाद त्रिपाठी, केएल दीक्षित, राकेश सिंह, रवि शास्त्री, रामकृपाल गौतम, अशोक अग्रवाल, चंद्रशेखर शर्मा, सुरेंद्र दत्त भट्ट, लखविंदर सिंह, सुनील दत्त थपलियाल, आशु रंग देव, दीपक रयाल, ध्रुव नागपाल, रंजन अंथवाल, संजीव कुमार, दीपक भारद्वाज, गीता कुकरेती, अंजू रस्तोगी, कविता शाह, अम्बिका धस्माना, विवेक शर्मा, प्रवीन रावत, रचित अग्रवाल, अमित चटर्जी आदि मौजूद रहे।