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ज्योतिषः इसबार छोटी और बड़ी दिवाली एक ही दिन, जानें क्यों?

प्रकाश पर्व के बीच के दिनों में सूर्यग्रहण, साधना और मंत्र सिद्धि के लिए वरदान

Deepawali 2022: दीपावली के त्योहार को लेकर बाजार से लेकर घरों तक तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। पांच दिनों का यह पर्व इसवर्ष 22 अक्टूबर शनिवार के दिन धनतेरस से शुरू होकर 26 अक्टूबर बुधवार को भैयादूज के पर्व तक चलेगा। इसबीच 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण भी है। ऐसे में ज्योतिष की दृष्टि से दीवाली का पर्व साधना और मंत्र सिद्धि के लिए वरदान के समान माना जा रहा है। आइए जानते हैं दिवाली के पांच दिनों के इस पर्व को कैसे मनाएं।

ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल बताते हैं कि प्रकाशपर्व दीपावली प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी अथवा काली चौदस कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को होता है। इस वर्ष 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण और उसके बाद 8 नवंबर को चंद्रग्रहण पड़ रहा है, इसलिए यह पर्व मंत्र एवं यंत्र साधना के लिए वरदान के समान है। बताते हैं कि विवाह, संतान, आयु रक्षा, नौकरी, तरक्की, सुख-शांति, व्यापार वृद्धि और बीमारियों का निवारण मंत्र और यंत्र साधना से संभव हो सकतता है।

धनतेरस
इस साल धनतेरस का त्योहार 22 अक्टूबर दिन शनिवार को है। इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और देवताओं के वैद्य धनवन्तरी की पूजा की जाती है। परिवार की उन्नति के लिए धनतेरस के दिन सोना, चांदी, धनिया, झाड़ू आदि खरीदने की परंपरा है। इस दिन प्रदोष व्रत भी रखा जाता है। इसबार धनतेरस पर शनि प्रदोष व्रत है। इसबार यम का दीपक भी धनतेरस को ही निकाला जाएगा।

नरक चतुर्दशी अथवा काली चौदस
डॉ. घिल्डियाल बताते हैं कि नरक चतुर्दशी या काली चौदस कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। काली चौदस पश्चिम बंगाल में मनाते हैं। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए इस दिन नकर चतुर्दशी मनाते हैं। हालांकि इस साल काली चौदस की पूजा 23 अक्टूबर की रात को होगी, लेकिन नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली 24 अक्टूबर को दिवाली के साथ ही मनाई जाएगी।

दीपावली
कार्तिक अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता हैं। इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को है। इस दिन रात्रि के शुभ समय में माता लक्ष्मी और गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। घर को दीपक से प्रकाशित किया जाता है। इस दिन जब भगवान श्रीराम लंका विजय करके माता सीता के साथ अयोध्या लौटे थे, तब से दिवाली मनाई जाती है।

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार मनाते हैं। इस साल गोवर्धन पूजा या अन्नकूट 26 अक्टूबर दिन बुधवार को है। क्योंकि दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण है। इंद्रदेव के घमंड को चूर करने और गोकुल के लोगों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर धारण कर लिया था। उसके बाद से ही गोवर्धन की पूजा की जाने लगी। इसदिन भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट 56 भोग लगाते हैं।

भाई दूज
भाई दूज का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाते हैं, इसे यम द्वितीया भी कहते है। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे, तब उन्होंने यमुना को वरदान दिया था कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, उसे मृत्यु का भय नहीं सताएगा। इस साल भैया दूज 26 अक्टूबर को है, इसलिए भाई को चाहिए कि इस दिन अवश्य बहन के घर पहुंचकर भोजन ग्रहण करें और सामर्थ्य अनुसार उसे दक्षिणा प्रदान करें।

(ज्योतिषाचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल कुंडली, हस्तरेखा और वास्तु शास्त्र के मर्मज्ञ के साथ-साथ यंत्र साधना के अच्छे जानकार हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। निवास’ 56/1 धर्मपुर, देहरादून, उत्तराखंड। मोबाइल -9411153845)

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