उत्तरकाशी

आपदा प्रभावितों के लिए तैयार हो रहा बेहतर राहत पैकेज

उत्तरकाशी। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर धराली गांव के आपदा प्रभावितों के राहत और पुनर्वास का बेहतर पैकेज तैयार कराया जा रहा है। आपदा से हुई क्षति के आंकलन के लिए सचिव राजस्व की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति आज उत्तरकाशी पहुंच गई है।

सोमवार को आपदा नियंत्रण कक्ष में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कमिश्नर ने धराली में राहत व बचाव अभियान की जानकारी साझा की। बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र से अब 1278 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। मलबे के भीतर दबे लोगों की खोज के लिए एनडीआरएफ की टीम समेत विशेष अधिकारी मौके पर तैनात हैं।

उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ के आईजी भी मौके पर कैम्प कर रहे हैं। देहरादून से 10 विशेषज्ञ भूवैज्ञानिकों की एक विशेष टीम भी भेजी गई है। राहत एवं बचाव कार्यों और सर्च ऑपरेशन को तत्परता से संचालित करने के लिए डीएम उत्तरकाशी प्रभावित क्षेत्र में ही कैंप कर रहे हैं। प्रभावितों तक खाद्यान्न, कपड़े व दैनिक उपयोग की सामग्री उपलब्ध कराई जा चुकी है।

मंडलायुक्त ने बताया कि अभी तक प्राप्त विवरण के अनुसार आपदा में 43 लोगों के लापता होने की सूचना मिली थी। जिनमें से धराली गांव के एक युवक आकाश पंवार का शव बरामद हुआ है। मृत युवक के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। शेष लापता 42 लोगों में 9 सेना के कार्मिकों के साथ ही धराली गांव के 08 और निकटवर्ती क्षेत्रों के 05 लोग शामिल हैं। टिहरी जिले का 01, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के 06 व्यक्ति भी लापता बताए गए हैं।

इनके अतिरिक्त 29 नेपाली श्रमिकों के लापता होने की भी सूचना मिली थी, जिनमें से मोबाईल नेटवर्क बहाल होने के बाद 05 व्यक्तियों से संपर्क हो चुका है। शेष 24 मजदूरों के संबंध में उनके ठेकेदारों से अधिक विवरण नहीं मिल पाया है। संबंधित ठेकेदारों को कहा गया है कि इन मजदूरों को जहां से लाया गया है, वहां से उनके मोबाइल नंबर और अन्य जानकारी प्राप्त की जाए।

मंडलायुक्त ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में सड़क संपर्क बहाल करने का काम तेजी से जारी है। गत रात्रि को लिमच्यागाड़ में बेली ब्रिज का निर्माण पूरा हो चुका हैं। अब डबरानी और सोनगाड़ क्षेत्र में क्षतिग्रस्त सड़क बहाल करने का काम चल रहा है। मंगलवार सायं तक इस क्षेत्र में सड़क संपर्क बहाल हो जाने की उम्मीद है। लिमच्यागाड़ में बेली ब्रिज बनने के बाद भारी मशीनों को डबरानी क्षेत्र में पहुंचा दिया गया है।

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