उत्तराखंडव्यंग्यवाणी

मेरे पास अलां है फलां है, तुम्हारे पास क्या है? (राजनीतिक व्यंग्य)

• धनेश कोठारी

उत्तराखंड के इस सर्द मौसम में आम चुनाव के करीब आते ही तीन प्रमुख दल जिस तरह से सपनों की इबारत को गढ़ रहे हैं, उससे दीवार फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच का फेमस डायलॉग याद आ रहा है- ”मेरे पास बिल्डिंग है प्रॉपर्टी है बैंक बैलेंस है बंगला है गाड़ी है, तुम्हारे पास क्या है?

इस फेमस सीन को उत्तराखंड की सियासत के रूबरू होकर देखें तो राजनीतिक दलों और जनता के पास क्या-क्या है, एक नजर-

भाजपा – मेरे पास डबल इंजन है, रेल प्रोजेक्ट है, ऑलवेदर रोड है, तीन महीने में 500 से ज्यादा घोषणाएं हैं, सैन्यधाम है, मोदी जी हैं, और भी…. लिस्ट बहुत लंबी है। तुम्हारे पास क्या है?

कांग्रेस – मेरे पास गाड़, गदेरों की बातें हैं, उत्तराखंडियत की बिसातें हैं, न्याय योजना का भत्ता है, वायदों की सौगातें हैं। राहुल गांधी हैं, आदि…….। तुम्हारे पास क्या है?

आम आदमी पार्टी- मेरे पास फ्री बिजली है, फ्री तीर्थयात्रा है, बेरोजगार भत्ता है, महिलाओं को पेंशन है, फ्री स्कीमों के अलावा दिल्ली का मॉडल है, केजरीवाल है, आदि-आदि…। तुम्हारे पास क्या है?

यूकेडी- मेरे पास क्षेत्रीय पार्टी का तमगा है, राज्य आंदोलन का संघर्ष है, दूसरे दलों के साथ चलने का अनुभव है, सत्ता में आने का लंबा इंतजार है, काशी सिंह ऐरी हैं, दिवाकर भट्ट हैं, त्रिवेंद्र सिंह पंवार हैं…आदि आदि तुम्हारे पास क्या है?

जनाब जरा ‘जनता’ का संभावित जवाब भी पढ़ लीजिए- हमारे पास पलायन है, भूतहा गांव हैं, बिना मास्टरों के स्कूल हैं, बिना पानी के नल हैं, चौगुने दामों पर खरीदी हुई बिजली है, रेफर सेंटर टाइप अस्पताल हैं, आपदाएं हैं, गर्भवती महिलाओं और बीमार बुजुर्गों के लिए डंडी-कंडियां हैं, देरादूण और हल्द्वानी रहने वाले बिधैक जी हैं, पैरा पुस्ता लगाने वाले ठेकेदार हैं, वोट पटाने वाले गल्लेदार हैं, गांवों के करीब ठेके हैं, देरादूण है, हल्द्वानी है, आदि-आदि…..। सबसे बड़ी बात कि हमारे पास मोदीजी हैं, राहुल बाबा हैं, भाजपा है, कांग्रेस है, धामी जी हैं, हरदा हैं, और तो और हमारे प्रत्येक ढुंगे (पत्थर) के नीचे छुटभैये हैं। तो इससे ज्यादा और क्या चाहिए बल!!

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