देहरादून

दून में खुला प्रदेश का पहला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र

दिव्यांगों को एक ही छत के नीचे मिलेंगी कई सुविधाएं

देहरादून। गांधी शताब्दी जिला चिकित्सालय में राज्य का पहला जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) का विधिवत शुभारंभ हो गया है। यहां दिव्यांगों को फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक सलाह, दिव्यांग प्रमाण पत्र और कृत्रिम अंग आदि सुविधाएं एक ही जगह उपलब्ध होंगी।

बुधवार को जिला चिकित्सालय में विधायक खजान दास की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का महापौर सौरभ थपलियाल, पार्षद सुनीता मंजखोला, डीएम सविन बंसल और सीडीओ अभिनव शाह ने डीडीआरसी का शुभारंभ किया। मेयर सौरभ थपलियाल ने कहा कि इस केंद्र के खुलने से दिव्यांगजनों का जीवन आसान और समृद्ध होगा। इस दौरान उन्होंने डीडीआरसी के हेल्पलाइन नंबर 8077386815 का अनावरण भी किया।

विधायक खजान दास ने कहा कि देहरादून जिला प्रशासन ने राज्य का पहला जिला दिव्यांग एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित कर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के संकल्प को आगे बढ़ाने का काम किया है। डीएम सविन बंसल ने कहा कि समाज में करीब 20 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में दिव्यांगता से प्रभावित है। उनके जीवन को सरल बनाना, सुविधाएं मुहैया करना हमारा दायित्व है।

डीएम बंसल ने कहा कि यहां दिव्यांगजनों को प्रमाणपत्र, यूडीआईडी कार्ड, आधार कार्ड, फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक सलाह, इलाज और कृत्रिम उपकरण के साथ रोजगार प्रशिक्षण की सुविधाएं मिलेगी। दिव्यांगों के केंद्र तक आने जाने के लिए स्पेशल वाहन भी तैनात किया गया है। सीडीओ अभिनव शाह ने कहा कि पुनर्वास केंद्र को और बेहतर बनाने के लिए आने वाले सुझावों पर अमल किया जाएगा।

इस अवसर पर दिव्यांग अनिल कुमार ढौंडियाल और नीरज बिष्ट को कान की मशीन प्रदान की गई। वहीं विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में आर्ट प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दिव्यांग छात्रों को पुरस्कृत किया गया।

एकीकृत सेवाएं एक छत के नीचे
डीडीआरसी केंद्र दिव्यांगजनों को न सिर्फ प्रमाणन, बल्कि कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र, उपकरण वितरण, फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक परामर्श जैसी सभी सेवाएं एक ही छत के नीचे देगा। समाज कल्याण विभाग की निगरानी में नोडल एजेंसी डीडीआरसी देहरादून मुनीशाभा सेवा सदन एवं पुनर्वास संस्थान द्वारा इसका संचालन किया जाएगा।

डीडीआरसी के कार्य और सेवाएं
जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र में पंजीकरण के बाद दिव्यांगों को चिकित्सकीय, सामाजिक, शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के आधार पर परामर्श और सेवाएं प्रदान की जाती हैं। आवश्यकता अनुसार सहायक उपकरण व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल, श्रवण यंत्र आदि दिए जाते हैं। कौशल विकास प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाता है।

यह रहे कार्यक्रम में मौजूद
कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज कुमार शर्मा, जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर ढौंडियाल के अलावा दिव्यांग व एवं उनके परिजन मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन नोडल एजेंसी के के सचिव अनंत मेहरा ने किया।

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