
Aiims Rishikesh : जन्म से हृदय रोग से पीड़ित 13 वर्षीय किशोरी के दिल का एम्स में सफल ऑपरेशन किया गया। चिकित्सकों के मुताबिक आमतौर पर दिल का टीएपीवीआर (TAPVR) ऑपरेशन बच्चे के जन्म से एक वर्ष के अंतराल में किया जाता है। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
एम्स से मिली जानकारी के मुताबिक किशोरी को सांस फूलने और जल्द थकने की शिकायत थी। बाद में उसकी धड़कनों की गति बढ़ गई थी। एम्स आने से पहले चिकित्सकों ने परिजनों को दिल्ली के बड़े अस्पताल में जाने की सलाह दी थी। तभी परिजनों ने एम्स लाए, जहां उसके दिल का टीएपीवीआर ऑपरेशन सफलता के साथ किया गया।
पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. यश श्रीवास्तव और विभागाध्यक्ष प्रो. भानु दुग्गल ने ईकोकॉर्डियोग्रापी से बीमारी पता लगाया। बताया कि जन्म के समय बच्चे का इलाज नहीं होने पर आशंका थी कि मरीज ऑपरेशन के लायक है अथवा नहीं। सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता से परामर्श के बाद मरीज की एंजियोग्राफी और फिर ऑपरेशन का निर्णय लिया गया।
डॉ. अनीश गुप्ता ने बताया कि ऐसे मामले में मरीज को नाइट्रिक ऑक्साइड वेंटीलेटर की जरुरत पड सकती है, जो कि उत्तराखंड में सिर्फ एम्स में ही उपलब्ध है। बताया कि ऑपरेशन करीब चार घंटे में पूरा हुआ। मरीज अब रिकवर कर चुकी है और घर जाने के लिए पूरी तरह से स्वस्थ है। परिजनों बेटी को नया जीवन मिलने पर प्रसन्नता जाहिर की। बताया कि पेशेंट का ऑपरेशन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के तहत निःशुल्क किया गया।
किशोरी के ऑपरेशन और आईसीयू में मरीज की देखरेख में एनेस्थिसिया विभाग के डॉ. अजय मिश्रा ने खासा सहयोग किया। ऑपरेशन टीम में डॉ. अनीश गुप्ता, डॉ. ईशान, डॉ. आयेशा, डॉ. विकास, डॉ. पूजा केशव, प्रियंका, अमित कुमार आदि शामिल थे।
क्या है कार्डियक TAPVR
यह हृदय की एक जन्मजात बीमारी है। इसमें फेफड़ों से शुद्ध खून लाने वाली सारी नसें दिल के गलत हिस्से में खुलती हैं। यह तीन प्रकार की होती है। यह बीमारी पैदा होते ही जानलेवा हो सकती है, यदि बच्चा बड़ा भी हो जाता है, तब भी बिना ऑपरेशन के उसकी मृत्यु निश्चित है। इस बीमारी के ऑपरेशन में जान जाने का खतरा भी होता है। मगर सफल ऑपरेशन होने पर मरीज की लम्बी आयु संभव है।
क्या हैं इस बीमार के लक्षण
इस बीमारी के सबसे गंभीर प्रकार में बच्चा पैदा होते ही पहले महीने में प्नूमोनिय या ऑक्सीजन की कमी से वेंटीलेटर पर जा सकता है। बच्चे के बड़े होने पर सांस फूलना, जल्दी थकान होना, धड़कन तेज़ चलना आदि मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। धीरे-धीरे हार्ट फेल होने से जान चली जाती है।