
देहरादून। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत शनिवार को मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिनव शाह की अध्यक्षता में जिला टीबी फोरम की बैठक आयोजित हुई। बैठक में सामुदायिक सहभागिता बढ़ाते हुए जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने और उस पर प्रभावी रूप से अमल करने के निर्देश दिए गए।
सीडीओ ने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है। कोई भी व्यक्ति, संस्था या संगठन स्वेच्छा से टीबी मरीजों को पोषण, दवा और आजीविका संबंधी सहयोग देने के लिए ‘निक्षय मित्र’ बन सकता है। उन्होंने सीएमओ को व्यापक प्रचार-प्रसार करने और निजी अस्पतालों व संस्थाओं को अभियान से जोड़ने के निर्देश दिए।
सीडीओ ने विभागीय अधिकारियों को कम से कम एक टीबी मरीज को गोद लेने की अपील की। स्वयं भी मरीज को गोद लेकर सहयोग देने की घोषणा की। इस दौरान टीबी का सफल उपचार कराने और अभियान में योगदान देने पर टीबी चैंपियन कविता, कल्पना, मीनाक्षी, नेहा और आयुष ममगाई को सम्मानित किया गया।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एमके वर्मा ने बताया कि मरीजों को मुफ्त इलाज और पोषण उपलब्ध कराया जा रहा है। निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार अवधि में मरीजों को प्रतिमाह 1,000 रुपये और उपचार पूरा होने पर 5,000 रुपये की धनराशि दी जाती है।
उन्होंने बताया कि देहरादून जिले में 5,160 मरीजों के उपचार का लक्ष्य था, जबकि अब तक 6,408 मरीजों का उपचार किया जा चुका है। जिले की 3.86 लाख जनसंख्या को ‘वनरेबल श्रेणी’ में चिह्नित किया गया है। वर्तमान में 1,764 निक्षय मित्र जिले में कार्यरत हैं और 401 पंचायतों में से 184 पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी हैं।
सीएमओ डा. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों के 190 से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हैं, लेकिन अभी केवल 14 निजी संस्थानों से ही टीबी उन्मूलन की जानकारी दी जा रही है। उन्होंने सभी निजी अस्पतालों और संस्थानों को टीबी जांच संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
बैठक में प्रोसेस मैनेजर साकेत वासुदेव, एमआरडी मनजीत सिंह, इम्पेक्ट इंडिया टीबी चैंपियन नेहा, मनीष प्रजापति, मीनाक्षी, कल्पना, आयुष, कविता सहित ओएनजीसी, मैक्स, सिनर्जी एवं अन्य संस्थानों के चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे।