
Aiims Rishikesh News : ऋषिकेश। यदि आप धूम्रपान करते हैं, लंबे समय से खांसी और थकान महसूस हो रही है तो सतर्क हो जाएं। ये लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। लेकिन घबराएं नहीं, एम्स में ऐसे रोगियों के लिए स्पेशल लंग्स क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। जो कि प्रत्येक शुक्रवार को पल्मोनरी विभाग की ओपीडी में संचालित किया जाता है।
फेफड़ों में कैंसर हो जाने पर फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है। कईबार फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चलता और यह अंदर ही अंदर बढ़ता चला जाता है। चिकित्सकों के अनुसार कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में सर्वाधिक मामले लंग कैंसर के होते हैं।
डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि धूम्रपान करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा खैनी, गुटखा, सिगार आदि का सेवन और आनुवांशिक वजह से भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। बताया कि उत्तराखंड में धूम्रपान की अधिकता के चलते यहां ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एम्स में हर महीने 20-25 मामले सामने आ रहे हैं।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
लंबे समय से खांसी-बलगम की शिकायत, खांसी में खून आना, सांस फूलना, सीने मे दर्द, वजन का कम होना, चेहरे या गले में सूजन, आवाज बदल जाना, भूख कम लगना, लगातार थकान महसूस करना आदि प्रमुख लक्षण हैं।
टी.बी. और फेफड़े के कैंसर में अंतर
डॉ. मयंक ने बताया कि ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) और फेफड़ों के कैंसर के कई लक्षण मिलते-जुलते हैं। लोग दोनों बीमारियों के बीच में अंतर नहीं कर पाते हैं। बताया कि दोनों बीमारियों में लंबे समय से चली आ रही खांसी, खांसी के साथ खून का निकलना, आवाज का भारी हो जाना आदि लक्षण समान तरह के हैं, लेकिन दोनों की स्पष्ट पहचान आवश्यक जांचों के बाद ही हो पाती है।
शुक्रवार को होता है लंग क्लीनिक
डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को संचालित होता है। जिसमें केवल वही मरीज देखे जाते हैं जिन्हें पल्मोनरी विभाग की जनरल ओपीडी से रेफर किया गया हो। इसलिए मरीज पहले पल्मोनरी की ओपीडी में अपनी जांच करवा ले। लंग क्लीनिक में पल्मोनरी विभाग के अलावा, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी उपलब्ध रहते हैं। रोगियों के लिए ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से बीमारी की अवस्था, निदान और इलाज की सुविधा भी उपलब्ध है।
कार्यकारी निदेशक ने कहा
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर बीमारी है। लेकिन अब नवीन मेडिकल साइंस में कैंसर से छुटकारा संभव है। समय पर इलाज से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है। एम्स के पल्मोनरी विभाग में लंग कैंसर के उपचार के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हैं।