
Rishikesh Aiims : ऋषिकेश। एम्स और रोड ट्रांसपोर्ट विभाग की ओर से 13 जिलों में फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया गया। जिसमें पहले व दूसरे चरण में 50-50 लोगों के बैच को प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि प्रशिक्षित टीमें सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति में ट्रॉमा पेशेंट्स के लिए मददगार साबित होंगी।
ट्रामा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल के अनुसार भविष्य में उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में 50 फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनर्स तैयार किए जाएंगे। जो कि दुर्घटना की स्थिति में ट्रॉमा मरीजों को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने और डेथ रेट को कम करने में सहायक बनेंगे। इसी क्रम में तीसरे चरण की प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हुई। जिसमें प्रशिक्षण के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट एंड साइंसेज (आईएचएमएस) कोटद्वार के अध्यापक और छात्र- छात्राएं शामिल हुए।
वर्कशॉप में प्रशिक्षुओं को बताया गया कि दुर्घटना के मामले में पहले तीन घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिसमें सर्वाधिक 80 फीसदी डेथ होती है। ट्रेनर्स की सहायता से डेथ रेट को कम किया जा सकता है। साथ ही उन्हें सीपीआर, लोग रोलिंग, मेडिकल इमरजेंसी, जलने और किसी भी प्रकार की गंभीर चोट आने पर प्राथमिक उपचार और कृत्रिम उपकरणों की मदद से व्यक्तिगत प्रशिक्षण भी दिया गया।
विशेषज्ञों ने बताया कि ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए लोगों को जागरुक करना, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति् को प्राथमिक उपचार, सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने में सहायक बनाना है। कोटद्वार से आए शिक्षक विजयश्री व पीआरओ नरेश थपलियाल ने सरकार से गुजारिश की कि इस कोर्स को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाए। कोर्स संयोजक महेश गजानन देवस्थले, अखिलेश उनियाल, शशिकांत, दीपिका कांडपाल, सुशीला, प्रियंका, कादिर खान, राखी यादव, यूनिस, हिमांशु पाठक, मेघा भट्ट ने प्रशिक्षण दिया।
क्या कहते हैं एम्स के विशेषज्ञ
– एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. मीनू सिंह ने कहा कि एम्स की सार्थकता तभी साबित होगी जब संस्थान राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ स्वास्थ्य खासकर ट्रॉमा के मामलों में आम जनमानस को जागरुक कर सके। इस पहल का यही उद्देश्य है। हमारी कोशिश है कि ट्रॉमा मामलों में मृत्यु दर को कम करने में अपना योगदान सुनिश्चित किया जाए।
– ट्रॉमा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल ने कहा कि हमारा प्रयास इंस्टीट्यूट नहीं पब्लिक बेस्ड होना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य जागरुकता के साथ ट्रॉमा के मामलों में आमजन को महत्वपूर्ण जानकारियां देने और प्राथमिक उपचार के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा सके। संस्थान राज्य सरकार व संबंधित विभागों, संस्थाओं के साथ मुहिम को आगे बढ़ाएगा।