ऋषिकेशस्वास्थ्य

दुनिया के टॉप 2 फीसदी वैज्ञानिकों में एम्स निदेशक भी शामिल

केलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जारी की सूची

ऋषिकेश। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से जारी दुनियाभर के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में इस बार एम्स ऋषिकेश की प्रोफेसर मीनू सिंह को भी जगह दी गई है। प्रोफेसर मीनू सिंह वर्तमान में एम्स संस्थान की कार्यकारी निदेशक हैं।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह को दुनिया के शीर्ष 2þ वैज्ञानिकों की सूची में स्थान मिला है। यह सूची केलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से सर्वे के बाद जारी की गई। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में हुए शोध का सर्वे कराने के बाद जो सूची जारी की गई है, उनमें 3 हजार वैज्ञानिक और शोधार्थी केवल भारत के हैं।

दुनिया भर के लगभग 66 हजार विज्ञानियों को इस सूची में जगह मिली है। इसमें देश के कई संस्थानों के अनुसंधान कर्ताओं, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को जगह दी गई है। बच्चों के श्वास रोग और इससे सम्बंधित बीमारियों के इलाज और इस क्षेत्र में किये गए विशेष अनुसंधानों की वजह से प्रोफेसर मीनू सिंह को सूची में शामिल किया गया है।

एम्स ऋषिकेश के अध्यक्ष प्रोफेसर समीरन नंदी सहित संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रोफेसर मीनू को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

एम्स के पीआरओ संदीप कुमार सिंह ने बताया कि अनुसंधान विश्विद्यालय के रूप में विश्व में अपनी विशेष पहिचान रखने वाली स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची एक प्रतिष्ठित रैकिंग है, जो अपने क्षेत्रों में सबसे अधिक उत्कृष्ट विद्ववानों की पहिचान करती है। बताया कि स्कोपस डेटाबेस डेटा से प्राप्त यह रैंकिंग उन शोधकर्ताओं को उजागर करती है, जिनके काम का विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

सूची में ऐसे होता है नाम शामिल
दुनियाभर के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में नाम शामिल करने से पूर्व सर्वे में देखा जाता है कि दुनिया के किस विश्वविद्यालय के विज्ञानी का शोध सबसे ज्यादा उल्लिखित है। शोध पत्रों के हवाले से या उसे आधार मानकर कितने शोध कार्य हुए या पेटेंट हुए हैं। इसमें यह भी देखा जाता है कि एक वर्ष में कितने शोधपत्र उस विज्ञानी के प्रकाशित हुए हैं। शोध विश्व के लिए कितना जानकारी परक है और भविष्य में उससे विज्ञान जगत को कितना लाभ मिल सकेगा।

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