![](https://shikharhimalaya.com/wp-content/uploads/2024/03/Aiims-rishikesh-motapa.jpg)
ऋषिकेश। विश्व मोटापा दिवस के उपलक्ष में एम्स में आयोजित कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत में बचपन का मोटापा चिंता के रूप में उभरा है। हाल के शोध में बताया गया कि भारत में इसकी व्यापकता लगातार बढ़ रही है।
एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि भारत में बचपन में मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है। इसमें पैकिंग फूड की भूमिका अधिक है। इनमें कम पोषक तत्व और शर्करा व अधिक वसा बच्चों के लिए नुकसानदेह है। शारीरिक गतिविधियों में कमी और स्क्रीन पर ज्यादा टाइम बिताने से भी मोटापे की समस्या बढ़ रही है। जरूरी है कि अभिभावक बच्चों की दिनचर्या के साथ ही उनके खानपान पर भी विशेष ध्यान दें। वहीं, स्कूली पाठ्यक्रम में पोषण शिक्षा और शारीरिक गतिविधियों को शामिल किया जाना चाहिए।
एपिडेमियोलॉजी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. उमेश कपिल ने कहा कि भारत में मोटापे की बढ़ती दर चिंताजनक है। इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए। बताया कि खाद्य उत्पादों पर फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (एफओपीएल) पोषण सामग्री के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसके प्रति जागरुकता जरूरी है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकारी निकायों, गैर सरकारी संगठनों, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और निजी क्षेत्र के बीच सहयोगी प्रयासों से भारत के स्वस्थ भविष्य को प्रशस्त कर सकता है। लिहाजा जरूरी है कि नीति निर्माता मोटापे से निपटने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के मद्देनजर एफओपीएल के क्रियान्वयन को प्राथमिकता दें।