ऋषिकेशः एम्स ने दोहराई रोगी सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता

ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में विश्व रोगी सुरक्षा दिवस 2025 मनाया गया। इस अवसर पर रोगी सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराते हुए विभिन्न शैक्षणिक और जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) मीनू सिंह के नेतृत्व में वॉकथॉन और रोगी सुरक्षा शपथ के साथ हुआ। उन्होंने बाल चिकित्सा सुरक्षा और “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार“ अभियान के महत्व पर प्रकाश डाला। अकादमिक डीन प्रो. जया चतुर्वेदी ने नवजात शिशु देखभाल के लिए प्रसव पूर्व महिला स्वास्थ्य की आवश्यकता पर चर्चा की, जबकि चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्याश्री ने बच्चों में शल्य चिकित्सा सुरक्षा पर विचार रखे।
शैक्षणिक सत्रों में प्रो. श्रीपर्णा बसु ने नवजात शिशु देखभाल, प्रो. लोकेश कुमार तिवारी ने परिवार-केंद्रित रोगी सुरक्षा और प्रो. पुनीत धमीजा ने सुरक्षित औषधि पद्धतियों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। डॉ. पूजा भदौरिया ने रोगी सुरक्षा की मौजूदा प्रासंगिकता पर जानकारी दी। डॉ. आशीष जैन ने बाल चिकित्सा रक्ताधान प्रोटोकॉल पर व्याख्यान दिया।
पखवाड़ा भर चला विशेष आयोजन
इस वर्ष रोगी सुरक्षा दिवस का थीम “प्रत्येक नवजात और प्रत्येक बच्चे के लिए सुरक्षित देखभाल“ रखा गया। पखवाड़े भर चले विशेष कार्यक्रमों की शुरुआत चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय द्वारा सुरक्षा ऑडिट राउंड से हुई। इसके अंतर्गत सभी आंतरिक रोगी इकाइयों में विभागीय ऑडिट और बाल चिकित्सा एवं गहन चिकित्सा इकाइयों में “कोड पिंक“ मॉक ड्रिल आयोजित की गई।
नर्सिंग सेवा विभाग ने नवजात और बाल चिकित्सा नर्सिंग कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए, जिनमें पीईडब्ल्यूएस (पीडियाट्रिक अर्ली वार्निंग स्कोर) और गंभीर रूप से बीमार बच्चों के सुरक्षित परिवहन जैसे विषय शामिल रहे। सभी इकाइयों में “स्वच्छ हाथ अभियान“ को मजबूती दी गई।
कार्यक्रम के अंत में नवाचार प्रतियोगिता के विजेताओं, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली इकाइयों और रोगी सुरक्षा पहलों में योगदान देने वाले कर्मियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर यह संदेश दिया गया कि रोगी सुरक्षा जीवन की पहली सांस से ही शुरू होती है और नवजात शिशुओं व बच्चों की सुरक्षा सामूहिक जिम्मेदारी है।