Aiims Rishikesh News : ऋषिकेश। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आह्वान पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में जननांग कैंसर के वैश्विक उन्मूलन पर आयोजित दो दिवसीय एओजिन-इंडिया के 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज हो गया। सम्मेलन में कई देशों के चिकित्सा विशेषज्ञ, शोधकर्ता और प्रतिनिधि प्रतिभाग महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के निदान पर अपने अनुभव, ज्ञान और विचारों को साझा करेंगे।
शनिवार को एम्स के ऑडिटोरियम में एशिया ओसिएनिया ऑर्गेनाइजेशन ऑन जेनिटल इन्फेक्शन्स एंड नियोप्लेजिया (एओजीआईएन) सम्मेलन का सेलुलर व आणविक जीव विज्ञान केन्द्र हैदराबाद के हेड डॉ. आर. संकरनारायणन और संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो मीनू सिंह ने शुभारंभ किया। डॉ. संकरनारायणन ने कहा कि बढ़ती आबादी के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत ने हमेशा नए आयामों को हासिल किया है। परिणामतः हम देश में पहले कैंसर पर नियंन्त्रण की दिशा में कार्य रहे थे अब कैंसर के उन्मूलन की ओर अग्रसर हैं।
कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने सर्वाइकल कैंसर के निदान के लिएयूनिवर्सल एचपीवी टीकाकरण नीति की आवश्यकता बताई। इससे पुरुषों में भी जननांग और ऑरोफरिंजियल कैंसर का खतरा कम हो सकेगा। बताया कि एम्स में सर्वाइल कैंसर के उपचार के लिए इंटिग्रेटेड वुमेन कैंसर विभाग काम कर रहा है। डीन एकेडेमिक और कार्यक्रम चीफ एडवाइजर प्रो. जया चतुर्वेदी ने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन से सर्वाइकल कैंसर के उपचार और निदान के लिए एक नई दिशा तय हो सकेगी।
एम्स की गायनेकोलोजिक ऑन्कोलोजिस्ट प्रो. (डा.) शालिनी राजाराम ने कहा कि लंबे समय से ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, वायरोलॉजिस्ट, चिकित्सक, विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इस दिशा में मिलकर कार्य कर रहे हैं। कहा कि यह सेमिनार अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और तकनीकों के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के रोकथाम, निदान और उपचार पर ध्यान केंद्रित करेगा।
सम्मेलन में इन विषयों पर हो रही चर्चा
सम्मेलन में सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण की हालिया रणनीतियों, एकल खुराक वैक्सीन की सिफारिश के पीछे का विज्ञान, एचपीवी टीकाकरण पर प्रभावकारिता, विभिन्न देशों की सांख्यकीय रिपोर्टों, भारतीय वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण और इम्यूनोजेनेसिटी व टीकाकरण के कार्यान्वयन आदि विषय पर व्यापक चर्चा की जा रही है। साथ ही राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम और कार्सिनोजेनेसिस, अग्रणी एचपीवी डायग्नोस्टिक्स, एचपीवी स्व-नमूना उपकरण और व्यवहार में एचपीवी परीक्षण की कार्यान्वयन रणनीतियों पर भी चर्चा की जाएगी।
इन्होंने किया सम्मेलन को संबोधित
’एओजिन इंडिया’ की अध्यक्ष डॉ. रूपिन्दर शैखोंन, सचिव डॉ. लथा बालासुब्रमणी, संस्थापक अध्यक्ष और एम्स दिल्ली गायनी विभाग की हेड प्रो. नीरजा भाटला आदि ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। पहले दिन निचले जननांग पथ के कैंसर के लिए बुनियादी और उन्नत सर्जिकल तकनीकों पर लाइव सर्जिकल वीडियो कार्यशाला, गर्भाशय ग्रीवा के पूर्व-आक्रामक रोग का निदान और उपचार और एचपीवी डायग्नोस्टिक्स कार्यशाला का आयोजन किया गया। साथ ही सुपरस्पेशलिटी प्रशिक्षुओं के लिए टेलीमेडिसिन, ऑन्कोफर्टिलिटी और उन्नत सर्जिकल कौशल कार्यशाला भी आयोजित की गई।
500 से अधिक विशेषज्ञ कर रहे प्रतिभाग
सम्मेलन में 500 से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञ और स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। इनमें भारत, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंग्डम, बांग्लादेश, आस्ट्रेलिया, थाईलैंड और फ्रांन्स आदि अन्तर्राष्ट्रीय फेकल्टी शामिल हैं। मौके पर ’जनरल ऑफ कॉलपोस्कॉपी एंड लोवर जेनिटल ट्रैक्ट पैथोलॉजी’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
यह रहे मौजूद
कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल, साईंटिफिक चेयरपर्सन प्रो. अनुपमा बहादुर, रेडियोथेरेपी विभाग के हेड प्रो. मनोज गुप्ता, गायनी विभाग की डॉ. लतिका चावला, डॉ. रूबी गुप्ता, डॉ. अमृता गौरव, डॉ. कविता खोईवाल, डॉ. राजलक्ष्मी मुन्ध्रा, डॉ. ओम कुमारी, डॉ. पूनम गिल समेत फेकल्टी सदस्य आदि मौजूद थे।