
Health News : ऋषिकेश। एम्स के चिकित्सकों ने पहली बार रोबोटिक सर्जरी के जरिए एक मरीज का लीवर कैंसर का इलाज किया। ऑपरेशन पूरी तरह से कामयाब रहा। मरीज को सर्जरी के पांच दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
एम्स के सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनीता सुमन ने बताया कि तीन महीनों से बुखार से पीड़ित जनपद रुद्रप्रयाग अंतर्गत दरमोला गांव के लक्ष्मण सिंह (34) की ओपीडी की जांच में उसे लीवर कैंसर से संबंधित बीमारी ‘लीवर मैलिग्नेंट मेसेनकाइमल ट्यूमर’’ का पता चला। जो कि खतरनाक स्थिति में पहुंच गया था। इसके बाद विभाग के हेड डॉ. निर्झर राज ने लीवर रिसेक्शन सर्जरी का निर्णय लिया।
डॉ. राज ने बताया कि पहले रोबोटिक सहायता से मरीज की राइट पोस्टीरियर सेक्शनेक्टॉमी की गई। इस प्रक्रिया में प्रभावित लीवर के लगभग 35 प्रतिशत हिस्से को अलग किया गया। डॉ. लोकेश अरोड़ा ने बताया कि रोबोटिक तकनीक में सर्जरी से आसपास के अंगों को नुकसान की कमअआशंका होती है। बताया कि इस कठिन सर्जरी को टीम वर्क से पूरा किया गया।
कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि यह सर्जरी एम्स ऋषिकेश की उत्कृष्टता का प्रमाण है। चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर आर.बी. कालिया ने कहा कि सर्जरी की सफलता में चिकित्सकीय टीम ने असाधारण कौशल और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
सर्जरी टीम में डॉ. निर्झर राज, डॉ. लोकेश अरोड़ा, डॉ. सुनीता सुमन, प्रोफेसर डॉ. रूमा, डॉ. रामानंद, डॉ. दीक्षित, डॉ. नीरज यादव, डॉ. विनय, डॉ. अजहर, सुरेश, मनीष, रितेश, मोहित, हसन, पूजा आदि शामिल रहे।
क्या है रोबोटिक सर्जरी
डॉ. निर्झर राज ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी से रोगी की सुरक्षा और आराम सुनिश्चित करते हुए बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। सामान्य सर्जरी में पेट में लंबे चीरे लगाने पड़ते हैं। मरीज को ऑपरेशन के बाद 10-15 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है। जबकि रोबोटिक सर्जरी में रोगी जल्द रिकवर करता है, उसे 5-7 दिनों में ही छुट्टी दे दी जाती है।
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की ओपीडी हफ्ते में 3 दिन
एम्स में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की ओपीडी मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को संचालित होती है। कैंसर रोगियों के लिए प्रत्येक बृहस्पतिवार को अपराह्न 2 से 4 बजे तक चिकित्सा और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभागों के साथ एक विशेष क्लीनिक संचालित किया जाता है।