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Politics: हरीश रावत राजनीति से लेंगे सन्यास या करेंगे थोड़ा विश्राम!

Politcs of Harish Rawat: उत्तराखंड के सियासी गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Ex CM Harish Rawat) की एक पोस्ट खासी चर्चाओं में है। इस पोस्ट के मन्तव्य को कुछ जानकार राजनीति से उनके सन्यास से जोड़ रहे हैं, तो कुछ सियासी पैंतरा भर मानकर चल रहे हैं। जो भी हो, हरदा ने इसमें अपने मन की हलचल और उसे किसी ठौर तक ले जाने कशमकश को जरूर बयां किया है।

सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट के पहले हाफ में हरदा ने खुद के राज्य आंदोलन के पक्ष में आने, 2014 से राज्य के लिए सोचे गए कार्यों को धरातल पर उतारने, भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन और सचिवालय का निर्माण, गैरसैंण में राज्य का भविष्य के अलावा राज्य से लेकर केंद्र तक भाजपा की सियासत के पेंच-ओ-खम और इसी भौगौलिक धरातल पर कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति आदि कई बिंदुओं को उकेरा है। जिसमें मोदी+संघ+भाजपा के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से चुनावी मुकाबले के लिए ‘उत्तराखंडियत’ को हथियार बनाने की बात का जिक्र भी किया है।

दूसरे पैरे में राजनीति से सन्यास जैसी बातें अलग-अलग संकेतों के साथ लिखी गई हैं। इसमें उत्तराखंडियत के अस्त्र से पार्टी को खड़ा न करन पाने की अपनी विफलता की स्वीकारोक्ति है, उत्तराखंड कांग्रेस के अभी भी खुद को नहीं बदलने की शंका है तो इन्हीं इशारों में अपनी सक्रियता से ईर्ष्या और अनावश्यक प्रतिद्वंदिता पैदा होने की चिंता को भी प्रकट किया है। यह भी कि ‘जिनके हाथों में बागडोर है उन्हें रास्ता बनाने दो’ के लिए स्पेस भी रखा हैं।

भगवान बदरीनाथ के दरबार में अपने मन की बात के जिक्र में हरदा ने कहा कि ‘मन ने मुझे स्पष्ट कहा कि हरीश आप उत्तराखंड के प्रति अपने कर्तव्य पूरे कर चुके हो’। इसी में आगे जोड़ते हैं कि ‘भारत जोड़ा यात्रा के एक महीने बाद राज्य और देश के हालातों पर मंथन कर अपने कर्म क्षेत्र और कार्यप्रणाली का निर्धारण करुंगा, थोड़ा विश्राम अच्छा है’।

इसी पैरे की आखिरी लाइनों में उन्होंने हरिद्वार क्षेत्र के प्रति अपने लगाव, कांग्रेसजनों के लिए उपलब्ध रहने की बात, पार्टी के पुकारने पर दिल्ली और उत्तराखंड में सेवाएं देने की उत्सुकता से अपनी बात को खत्म किया है। इस पोस्ट को हरदा ने कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और उत्तराखंड कांग्रेस को हैशटैग किया है।

जानकारों की मानें, तो यह हरीश रावत की राजनीति की एक बानगी है। जिसमें वह कई बातें खुलकर कह भी रहे हैं, तो असमंजस को भी बरकरार रखने के कौशल को भी बखूबी दर्शा भी रहे हैं। यानी कि अभी उनकी इस पोस्ट के भाव को राजनीतिक सन्यास से जोड़ना शायद जल्दबाजी भी हो सकती है। सो, आगे-आगे देखिए होता है क्या…!

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