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हरेला मार्च में उठे वीरान गांव और कटते पेड़ों के सवाल

देहरादून। ‘जब गांव हो रहे हो वीरान तब वहां हरेला कैसे हो साजिश से ज़ब पेड़ कटें तब वहाँ हरेला कैसे हो’ हरेला पर पौधारोपण करने के साथ ही संरक्षण का संकल्प दिलाने और हरे पेड़ों को काटने से बचाने के लिए धाद संस्था का हरेला अभियान दून में रैली निकालने के साथ शुरू हो गया। ढोल दमाऊं और पारंपरिक वेशभूषा में कलाकारों ने भी आमजन से अधिकाधिक पेड़ लगाने की अपील की। वक्ताओं ने पेड़ काटने पर चिंता जताते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार से लेकर आमजन सभी को आगे आना होगा तभी पर्यावरण को बचा सकेंगे।

मंगलवार को परेड ग्राउंड स्थित दून क्लब के सामने धाद संस्था के पदाधिकारी, सदस्यों के अलावा लोक कलाकार शामिल हुए। सुनो हरेला का संदेश हरा भरा हो मेरा देश, क्या हैं जंगल के उपकार मिट्टी पानी और बयार, के संदेश लिखी तख्तियों को हाथों में लेकर रैली निकाली। रैली परेड ग्राउंड से लैंसडौन चौक, दर्शनलाल चौक, घंटाघर से गांधी पार्क होते हुए वापस परेड ग्राउंड पहुंची। पारंपरिक वेशभूषा में कलाकारों ने भी गीत व नृत्य से सभी को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

वक्ताओं ने कहा कि धरती की हरियाली का उत्सव मनाने के लिए सभी को आगे आना होगा। क्योंकि जिस तरह सके पेड़ों का कटान हो रहा है आने वाले दिनों में यह लोगों के लिए और भी परेशानी होगी। कहा कि जलवायु परिवर्तन का खतरा एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने आ खड़ा हुआ है। पिछले वर्ष जहां देहरादून का तापमान 43 डिग्री पहुंच गया था वहीं इस बार समय से पहले प्रचंड गर्मी पड़ी। इसके बाद भारी बारिश ने दस्तक दे दी है।

उन्होंने कहा कि पहाड़ में एक तरफ अंधाधुंध और अनियमित निर्माण के चलते भूस्खलन और आपदा की घटनाएं घट रही हैं। वहीं गांवों का खाली होना और बंजर भूमि का बढ़ना पहाड़ के बड़े सवालों में पहले स्थान पर बना हुआ है। उसके उत्पादन तंत्र और आर्थिकी को लेकर सरकार शासन और आमजन सभी को मिलकर जमीनी स्तर पर प्रयास करने होंगे।

मौके पर मनोज ध्यानी, चौधरी ओमवीर सिंह, शिवदयाल शैलज, तोताराम ढौंडियाल, ठा. रणजीत सिंह कैन्तुरा, डॉ जयंत नवानी, हर्षमणि व्यास, डीसी नौटियाल, हिमांशु आहूजा, नरेन्द्र रावत, एचवी वर्मा, गणेश उनियाल, इंदू भूषण सकलानी, ममता रावत, आशा डोभाल, ममता डोभाल, किरन खंडूड़ी, रक्षा बौड़ाई, आराधना सिंह, सविता जोशी, लक्ष्मी मिश्रा, आरती मलासी, नवीन सडाना, शांति बिंजोला, हेमलता उनियाल, सरिता मैंदोलिया, नीलिमा धूलिया, प्रिया देवली, मनोहर लाल, सुरेंद्र अमोली, वीरेन्द्र खंडूड़ी, जीएस बिष्ट, सुरेश कुकरेती, प्रदीप डोभाल, सुदीप जुगरान, नीना रावत, बृजमोहन उनियाल, मीनाक्षी जुयाल, राजीव पांथरी, अरुण थपलियाल, सुनीता बहुगुणा, प्रो. अनूप कुमार, महावीर सिंह रावत आदि मौजूद रहे।

धाद हरेला अभियान में लगाएगी 5500 पौधे
धाद संस्था ने इस साल हरेला अभियान के तहत एक महीने में 5500 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। इनमें देहरादून में 500 छायादार जबकि 5000 फलदार पेड़े पहाड़ों में रोपे जाएंगे। इसमें स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जागरूक करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया जाएगा। धाद के सचिव तन्मय ममगाईं बताते हैं कि प्रकृति, पारिस्थितिकी व पर्यावरण के सवालों के साथ उत्तराखंड की संस्कृति, समाज, साहित्य का पक्ष जोड़ते हुए इसे सामाजिक उत्सव में बदला गया। धाद ने वर्ष 2010 से 2015 तक हरेला को आम समाज में ले जाने की पहल की। 2015 में तत्कालीन सरकार को इसका प्रस्ताव दिया और मुख्यमंत्री आवास में इसका आयोजन करवाते हुए इसके साथ राज्य स्तर पर पौधारोपण होने लगा। 2020 से सामाजिक सहभागिता से सघन वन की परिकल्पना मालदेवता में स्मृतिवन के रूप में जमीन पर उतरी, जिसका विस्तृत रूप हरेला वन के अंतर्गत आज पुष्पवन, बालवन, जीववन के रूप में हर वर्ष पौधे लगाए जाते है। सभी की सुरक्षा और देखरेख के लिए काम किया जाता हैं। धाद शत-प्रतिशत संरक्षण में यकीन रखती है। इसलिए हर वर्ष सीमित पौधे लगते हुए उनकी वर्ष भर देखरेख करते हैं। हमारे पास 922 पेड़ ऐसे है जो समाज के सहयोग से लगाए गए है और जिनकी हम नियमित देखरेख के साथ पोषित कर रहे है। इस बार भी 15 जुलाई से 16 अगस्त तक अभियान चलेगा।

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