पीएम मोदी के ‘पहाड़ी अंदाज़’ ने भरा लोगों में जोश

देहरादून। उत्तराखंड के रजत जयंती समारोह मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर अंदाज़ पहाड़ीपन से घुला-मिला नजर आया। सिर पर पहाड़ी टोपी और भाषण में जगह-जगह गढ़वाली-कुमाऊंनी बोली का प्रयोग कर प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड की संस्कृति को आत्मसात किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत गढ़वाली में करते हुए कहा देवभूमि उत्तराखण्ड का मेरा भै बंधु, दीदी, भुलियों, दाना सयाणों, आप सबू तई म्यारू नमस्कार। पैलाग, सैंवा-सौंली। उनके इस स्थानीय अंदाज ने सभा में मौजूद लोगों के बीच उत्साह और गर्व का माहौल बना दिया।
पीएम ने भाषण के दौरान कई बार गढ़वाली-कुमाऊंनी में बात की। कहा, पैली पहाडुं कू चढ़ाई, विकास की बाट कैल रोक दी छै, अब वखि बटि नई बाट खुलण लग ली। यह वाक्य सुनते ही कार्यक्रम स्थल पर तालियों की गूंज उठी।
उन्होंने पहाड़ की लोक परंपराओं और त्योहारों का भी जिक्र किया। उन्होंने हरेला, फुलदेई, भिटोली, नंदा देवी, जौलजीबी और देवीधुरा मेले के साथ दयारा बुग्याल के ‘बटर फेस्टिवल’ का उल्लेख करते हुए कहा कि ये पर्व उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और सामूहिकता के प्रतीक हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण ने उत्तराखण्ड की जनता के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव और गहरा कर दिया। स्थानीय भाषा में दिया गया उनका यह संबोधन रजत जयंती समारोह की सबसे विशेष झलक बन गया।



