Pauri: पहाड़ की धरती पर उगी ‘आत्मनिर्भरता’

Success Story: किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के राज्य सरकार के प्रयास धरातल पर दिखने लगे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत पहाड़ की संकरी पगडंडियों के बीच बसे छोटे से गांव पातल में मेहनत, उम्मीद और आत्मनिर्भरता की एक प्रेरक कहानी लिखी जा रही है।
विकासखंड एकेश्वर के ग्राम पातल के किसान कुलदीप किशोर जोशी जिन्होंने लॉकडाउन के कठिन दौर में भी हिम्मत नहीं हारी, आज आधुनिक खेती के प्रतीक बन चुके हैं। जब अधिकांश लोगों का जीवन ठहर-सा गया था, तब उन्होंने अपने खेतों में नयी उम्मीद बोयी। उद्यान विभाग की सहायता से उन्होंने 200 कीवी के पौधे लगाए। समय के साथ यह पहल उनके परिश्रम, संकल्प और विभागीय सहयोग का प्रतीक बन गयी। आज वही पौधे उनकी मेहनत का फल दे रहे हैं।
कुलदीप जोशी बताते हैं कि उद्यान विभाग के विशेषज्ञ समय-समय पर खेत पर पहुंचकर उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन देते रहे, जिससे खेती में बेहतर परिणाम मिलते गए। इसी समर्पण का परिणाम है कि इस वर्ष उन्हें 5 से 6 क्विंटल कीवी का उत्पादन प्राप्त हुआ है, जो स्टोरेज के रूप में सुरक्षित रखा गया है। साथ ही लगभग 1 क्विंटल फल अभी भी पेड़ों पर लदे हुए हैं।
अब कुलदीप जोशी के पास दो स्टोरेज यूनिट्स भी हैं, जिनकी मदद से वे अपने उत्पाद को सुरक्षित रखकर बाजार में बेहतर मूल्य प्राप्त कर पाते हैं। उन्होंने इस वर्ष 1 से 1.5 क्विंटल कीवी बेचकर उल्लेखनीय आमदनी अर्जित की। पिछले वर्ष जहां उन्हें लगभग ₹1,20,000 का लाभ हुआ था, वहीं इस बार ₹2,50,000 तक की आय होने की संभावना है। यह उनकी प्रगति और आधुनिक खेती की दिशा में उठाए गए कदमों की सफलता का स्पष्ट संकेत है।
जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी ने बताया कि उद्यान विभाग का लक्ष्य किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ाकर आधुनिक बागवानी और उच्च मूल्य वाले फलों के उत्पादन की ओर प्रोत्साहित करना है। कुलदीप जोशी जैसे किसानों ने यह साबित किया है कि सही तकनीक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और निरंतर मार्गदर्शन से पहाड़ की भूमि भी आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकती है।
आज कुलदीप जोशी एक आत्मनिर्भर किसान के रूप में पहचाने जा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार की योजनाओं, विभागीय सहयोग और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से ग्रामीण किसान भी अब आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। जब मेहनत, सही दिशा और सरकारी सहयोग साथ मिलते हैं, तो आत्मनिर्भरता सिर्फ सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन जाती है।
कुलदीप जोशी की यह सफलता की कहानी न केवल एक किसान की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह इस बात का जीवंत उदाहरण भी है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो पहाड़ की धरती भी सोना उगा सकती है।



