पौड़ीः कार्यशाला में उद्यान विभाग ने बताए ड्रिप सिंचाई के लाभ

पौड़ी। उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर उद्यान विभाग की ओर से औद्यानिक फसलों में ड्रिप (Drip) सिंचाई विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।
गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ब्लॉक प्रमुख पौड़ी अस्मिता नेगी ने कहा कि पर्वतीय जिलों में जल संसाधनों का समुचित उपयोग और संरक्षण भविष्य की स्थायी कृषि के लिए अत्यंत आवश्यक है। कहा कि ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीकें न केवल जल की बचत करती हैं बल्कि किसानों की मेहनत और लागत दोनों को कम करती हैं।
उन्होंने विभाग से आग्रह किया कि अधिक से अधिक किसानों तक इस तकनीक को पहुंचाने के लिए फील्ड डेमोंस्ट्रेशन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाई जाए। उन्होंने कृषकों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ फल, सब्जी, पुष्प एवं औषधीय पौधों की खेती अपनाने का आह्वान किया ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके।
एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. तेजपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि पर्वतीय राज्यों में बदलते औद्यानिक परिदृश्य को देखते हुए ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आय बढ़ाने के लिए बागवानी केंद्रित एकीकृत दृष्टिकोण (इंटीग्रेटेड अप्रोच) समय की आवश्यकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र भरसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अंशुमान सिंह ने बताया कि ड्रिप इरिगेशन प्रणाली जल उपयोग दक्षता को 70 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। इससे पौधों को आवश्यक मात्रा में जल और पोषक तत्व सीधे जड़ों तक पहुंचते हैं, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता व मात्रा दोनों में सुधार होता है।
जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी ने कहा कि विभाग द्वारा किसानों को ड्रिप सिंचाई, प्लास्टिक मल्चिंग, पौधशालाओं की स्थापना और उच्च मूल्य फसलों के प्रचार के लिए अनुदान आधारित योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
कार्यक्रम में परियोजना निदेशक डीआरडीए विवेक कुमार उपाध्याय, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, इंडियन ऑयल से सुरेश सचिदेव, विभागीय अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ एवं क्षेत्र के अनेक काश्तकार उपस्थित रहे। कार्यशाला के अंत में किसानों के प्रश्नों के समाधान के लिए इंटरएक्टिव सत्र भी आयोजित किया गया।



