नरेंद्रनगरः सम्मान समारोह में उठे राज्य के ज्वलंत मुद्दे
तहसील प्रशासन ने किया उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सम्मानित

नरेंद्रनगर। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष में तहसील प्रशासन ने क्षेत्र के राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सम्मानित किया। इस दौरान राज्य आंदोनकारियों ने गैरसैंण राजधानी, मूल निवास, पहाड़ों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं और मूलभूत सुविधाओं के अभाव पर अपना रोष भी जाहिर किया। साथ ही सरकार से उन्हें राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा दिए जाने की मांग भी दोहराई।
शनिवार को तहसील सभागार में आयोजित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सम्मान समारोह का शुभारंभ जीजीआईसी की बालिकाओं ने स्वागत गीत और उत्तराखंड मेरि मातृभूमि.. गीत प्रस्तुति से की। इसके बाद एसडीएम आशीष घिल्डियाल और तहसीलदार अयोध्या प्रसाद उनियाल ने राज्य आंदोलनकारियों को शॉल, प्रतीक चिन्ह व फ्लावर पॉट प्रदान कर सम्मानित किया।
सम्मान समाराह में बतौर मुख्य अतिथि ब्लॉक प्रमुख दीक्षा राणा ने राज्य के निर्माण में राज्य निर्माण से जुड़े लोगों के योगदान को याद किया। साथ ही उनके सपनों के अनुरूप अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को धरातल पर उतारने का विश्वास जताया। वहीं उपजिलाधिकारी आशीष घिल्डियाल ने राज्य आंदोलन में बलिदानियों और संघर्ष करने वाले लोगों के योगदान को अविस्मरणीय बताया।
इस दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 बरस बाद भी स्थायी राजधानी मसला हल नहीं करने, मूल निवास को समाप्त करने, पवर्तीय क्षेत्रों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं, जल, जंगल व जमीन के सवालों के अधूरा रहने पर चिंता के साथ ही रोष भी जाहिर किया।
उन्होंने दो टूक कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण का सर्वाधिक फायदा राजनेता, अफसर और ठेकदारों को हुआ है। रोजगार की दिशा में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए। युवा नशे की तरफ बढ़ रहे हैं। जो कि चिंता का विषय है। इस दौरान कुछ आंदोलनकारियों ने मुनिकीरेती शराब ठेके के मसले को भी उठाया।
राज्य आंदोलनकारियों ने नीति निर्धारकों से सिर्फ पांच साल नहीं बल्कि अगले 50 वर्षों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए विकासपरक योजनाएं बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने राज्य सरकार से राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष को पाठ्यक्रम में शामिल करने, राज्य आंदोलनकारियों को राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा देने की मांग पूरजोर तरीके से उठाई।
मौके पर मनोज द्विवेदी, चंद्रवीर पोखरियाल, मदन सिंह रावत, भारत भूषण कुकरेती, भास्कर गैरोला, विमला नेगी, सरस्वती जोशी, नवनीत उनियाल, सूर्य चंद्र सिंह चौहान, उपेंद्र थपलियाल, योगेश राणा, शिवमूर्ति कंडवाल, अशोक क्रेजी, जितेंद्र गुसाई, कैलाश थपलियाल, भगवान सिंह रावत, शैलेश सेमवाल, धनेश कोठारी, नरेंद्र मैठाणी, गोपाल चौहान, चिरंजी प्रसाद काला, विनोद कुकरेती, विनोद ध्यानी, प्रदीप बडोला, जगदीश शर्मा, सरोज कोठारी, लक्ष्मी राणा, अरविंद अधिकारी, नलिन भट्ट आदि मौजूद रहे।



