देहरादून

महाराज ने की टिहरी झील रिंगरोड परियोजना की समीक्षा

राजकीय मेलों को मिलने वाले अनुदान के शीघ्र भुगतान के निर्देश

देहरादून। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की नियमावलियों पर चर्चा के साथ-साथ संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक और टिहरी झील प्रोजेक्ट की समीक्षा की गई।

सोमवार को गढ़ी कैंट स्थित पर्यटन विकास परिषद कार्यालय में मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में अलग-अलग बैठक आयोजि की गई। उन्होंने बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति की बैठक में प्रस्तावित कर्मचारी सेवा नियमावली पर चर्चा के साथ समिति में कार्यरत हक-हकूकधारियों, डिमरी, पुजारीगण, समालिया, भण्डारी आदि पदों के संबंध में विचार किया गया।

इसके बाद हाराज ने अधिकारियों को संस्कृति विभाग में कलाकारों के लम्बित भुगतानों को शीघ्र करने और राजकीय मेलों को मिलने वाले अनुदान का भुगतान किए जाने के भी निर्देश दिए। वहीं उन्होंने 7708.27 करोड की लागत से टिहरी झील के चारों ओर रिंगरोड के लिए फिजीबिलिटी, संरेखण, सर्वेक्षण, भूमि अधिग्रहण की अभी तक की प्रगति की भी समीक्षा की।

महाराज ने बताया कि टिहरी जलाशय के 42 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में चारों ओर सम मोटर मार्ग के निर्माण और मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए 234.60 किमी रिंगरोड के लिए 214.60 किमी भूमि जिसकी अनुमानित लागत 124.96 करोड़ है का निर्माण किया जाएगा। जिससे जनपद के 173 गांव की लगभग 84000 आबादी प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होगी। साथ ही चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्री भी इस रिंग रोड का मुख्य व वैकल्पिक मार्ग के रूप में उपयोग कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित रिंग रोड के निर्माण से टिहरी बांध जलाशय में जहां ढिशुम विधि से आने वाले पर्यटकेके लिए आसानी होगी वहीं वर्ष भर जल क्रीड़ा और साहसिक खेलों का आयोजन संभव हो पाएगा। इससे सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी।

महाराज ने बताया कि वर्तमान में फीजिबिलिटी सर्वेक्षण के लिए अनुबंध गठित का सर्वेक्षण कार्य किया जा रहा है। परियोजना के कोठी से डोगरा चांटी सेतु तक के भाग पर उत्तराखंड पर्यटन निदेशालय देहरादून के द्वारा डीपीआर तैयार करने की कार्यवाही चल रही है।

बैठक में बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, एसीओ पर्यटन युगल किशोर पंत, संस्कृति एवं धर्मस्व अनुभाग अधिकारी नीरज मल, वित्त नियंत्रक पर्यटन जगत सिंह चौहान, संस्कृति निदेशक बीना भट्ट, वीडी सिंह, रमेश रावत और योगम्बर सिंह आदि मौजूद थे।

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