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उत्तरकाशी के झाला गांव में युवाओं की पहल ला रही रंग

देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बसा झाला गांव, धार्मिक और प्राकृतिक दोनों दृष्टियों से विशेष महत्व रखता है। यह गांव हर्षिल से मात्र 5 किलोमीटर और गंगोत्री से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मां गंगा के तट पर बसा यह गांव अपनी धार्मिक मान्यताओं, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और प्राकृतिक छटा के लिए जाना जाता है।

झाला गांव की सबसे बड़ी खासियत यहां के निवासियों का अतिथि देवो भव का भाव और प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम है। गांव के लोग मुख्य रूप से पशुपालन, कृषि, बागवानी और पर्यटन आधारित व्यवसाय से जीवन यापन करते हैं। उनकी जीवनशैली और संस्कार प्रकृति के प्रति उनकी जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।

इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, पिछले वर्ष 8 जुलाई को युवा अभिषेक रोतेला ने “थैंक यू नेचर” अभियान की शुरुआत की। इस अभियान के माध्यम से झाला गांव के युवा हर अवकाश दिवस पर गांव की सफाई, कचरा संग्रहण और वैज्ञानिक निस्तारण की प्रक्रिया में शामिल होते हैं।

शुरुआत में अभिषेक के नेतृत्व में महज पांच युवा प्रियांशु रौतेला, तनुजा उनियाल, प्रवेश रौतेला, अभिराज रौतेला और आदेश रौतेला ने मुहिम को शुरू किया। धीरे-धीरे यह अभियान पूरे गांव के लिए एक जिम्मेदारी बनता गया। जिला प्रशासन ने भी प्रारंभिक दिनों में इसका सहयोग किया।

वर्तमान में अभिषेक रौतेला ग्रामसभा झाला के युवा प्रधान के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। और गांव को स्वच्छ बनाने की संकल्पना को और अधिक सक्रिय रूप दे रहे हैं। अब गांव के छोटे बच्चे भी इस अभियान में शामिल होकर कचरा संग्रहण और निस्तारण में योगदान दे रहे हैं, जिससे गांव के लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और स्वच्छता का संदेश फैल रहा है।

झाला गांव केवल अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान के लिए ही नहीं बल्कि अपने युवाओं की पहल और प्राकृतिक प्रेम के लिए भी जाना जाने लगा है। गंगोत्री धाम और हर्षिल जैसे पर्यटन स्थलों से गुजरते पर्यटक झाला गांव की स्वच्छता और प्राकृतिक सुंदरता से आकर्षित हो रहे हैं।

यह गांव यह संदेश दे रहा है कि धार्मिक आस्था और प्राकृतिक प्रेम के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी निभाना भी आवश्यक है। युवाओं की मेहनत और संकल्प के चलते झाला गांव अब स्वच्छता और प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में एक उदाहरण बनता जा रहा है। झाला गांव का यह प्रयास न केवल देवभूमि उत्तराखंड की पहचान को मजबूती दे रहा है, बल्कि अन्य गांवों और युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।

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