देहरादून

Dehradun: कृषि क्षेत्र में लॉन्ग टर्म योजनाओं पर करें कामः शिवराज सिंह

• केंद्रीय मंत्री ने कृषि व ग्रामीण विकास संबंयी योजनाओं की समीक्षा की

• मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय मंत्री से मांगा विभिन्न कार्यों में सहयोग

देहरादून। केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ देहरादून में कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग की केन्द्रीय योजनाओं की समीक्षा की। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों तक वैज्ञानिकों की पहुंच सुनिश्चित कराए जाने के लिए वैज्ञानिकों की 2 हजार टीमें बनाई जा रही हैं। ये टीमें देश के प्रत्येक जनपद में वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से उत्पादन में वृद्धि, किसानों को आधुनिक खेती और तकनीकी से जोड़ने, कृषि और बागवानी से जुड़े विभिन्न आयामों की जानकारी देंगी।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में अच्छा कार्य हो रहा है। राज्य में कृषि का क्षेत्रफल घटा है, लेकिन उत्पादन बढ़ा है। कहा कि राज्य में कृषि के क्षेत्र में लंबी अवधि की कार्ययोजना पर कार्य किया जाए, इसके साथ ही राज्य में तात्कालिक रूप से कृषि के क्षेत्र में जो कार्य होने हैं, उनके लिए भारत सरकार से जो अपेक्षा है, उसका प्रस्ताव भेजा जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कृषि और बागवानी से संबंधित गतिविधियों के लिए केन्द्रीय मंत्री से सहयोग मांगा। राज्य में जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए घेरबाड़ के लिए लगभग ₹1 हजार 53 करोड़ की मांग पर केन्द्रीय मंत्री ने चरणबद्ध प्रस्ताव भेजने को कहा।

कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन के लिए 1 हजार फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए ₹400 करोड़ की मांग पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पहले चरण की धनराशि खर्च के बाद दूसरे चरण में धनराशि दी जाएगी। राज्य बीज उत्पादन संस्था को दलहन, तिलहन और सीड हब बनाने के लिए उन्होंने सहयोग का आश्वासन दिया। राज्य में सेब की अति सघन बागवानी के लिए ₹1150 करोड़ की धनराशि का सहयोग मांगे जाने पर कहा कि इसकी वार्षिक कार्ययोजना का प्रस्ताव बनाकर भेजा जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झंगोरा राज्य में मुख्य पारम्परिक फसल है, जो 38 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में उत्पादित की जा रही है, इसलिए किसानों के हित में मंडुआ की तर्ज पर झंगोरा के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाना चाहिए। इस पर केन्द्रीय मंत्री ने सकारात्मक रुख जताते हुए विचार करने का भरोसा दिलाया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कीवी मिशन के तहत राज्य में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए सहयोग दिया जाएगा। शहद, मशरूम और एग्जोटिक वेजिटेबल के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए भी पूर्ण सहयोग का उन्होंने आश्वासन दिया।

ड्रैगन फ्रूट मिशन और हिमालयन एकेडमी फॉर कैपेसिटी बिल्डिंग एंड रूरल एंटरप्राइजेज फॉर एग्री एंड एलाइड के लिए सहयोग मांगे जाने पर केन्द्रीय कृषि मंत्री ने हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। कहा कि बैठक में राज्य की ओर से जो सहयोग मांगा गया है, उन सभी कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग के साथ मार्केटिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।

ग्राम्य विकास की योजनाओं की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि हाउस ऑफ हिमालयाज लिमिटेड को ग्रामीण से वैश्विक स्तर तक ले जाने के लिए मान्यता मिले। हाउस ऑफ हिमालयाज को जी.आई. टैगिंग करने और इससे जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त करने के लिए सहयोग दिए जाने तथा हिमालयन ग्रामीण बैंक का निर्माण एवं प्रीमियम सप्लाई चेन विकास के लिए अनुरोध किया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ये सभी पहलें बहुत महत्वपूर्ण हैं।

मुख्यमंत्री ने मनरेगा के तहत मजदूरी दर बढ़ाने का केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मजदूरी दर में बढ़ोतरी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विचार कर कार्यवाही की जाएगी। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत आवास निर्माण के लिए अनुदान राशि ₹1 लाख 30 हजार से बढ़ाकर ₹2 लाख किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में परिवहन लागत अधिक लगती है। केन्द्रीय मंत्री ने हिमालयी राज्यों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस पर कार्यवाही किए जाने का आश्वासन दिया। पीएमजीएसवाई के चौथे चरण के लिए 600 किमी लंबाई की 100 से अधिक परियोजनाओं के लिए स्वीकृति प्रदान किए जाने के अनुरोध पर उन्होंने कहा कि इसकी स्वीकृति जल्द दी जाएगी।

इस दौरान बैठक में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव राधिका झा, चंद्रेश यादव, एस.एन. पांडेय, रणवीर सिंह चौहान, कुलपति पंतनगर विश्वविद्यालय डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, भरसार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रमेंद्र कौशल, भारत सरकार से अपर सचिव आर. आनंद, संयुक्त सचिव अमित शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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