शीतकालीन चारधाम यात्रा बन सकती है बड़ा अवसरः हरीश रावत

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शीतकालीन चारधाम यात्रा को प्रदेश के लिए एक बड़े अवसर के रूप में विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया है। सोशल मीडिया पर साझा अपने सुझाव में उन्होंने कहा कि इस यात्रा की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे लोगों की आस्था और प्रेरणा का आधार कैसे बनाया जाता है।
रावत ने कहा कि चारधाम देवस्थल पहले से विद्यमान हैं और वेद-शास्त्रों के अनुसार शीतकाल में भी इन स्थानों पर देवता विराजमान रहते हैं। ऐसे में आवश्यक है कि श्रद्धालुओं की आस्था को इन शीतकालीन देवस्थलों से जोड़ा जाए।
उन्होंने कहा कि शीतकाल में राज्य की प्राकृतिक सुंदरता अपने चरम पर होती है। जब देश के बड़े हिस्से कोहरा ढके रहते हैं, तब उत्तराखंड की पर्वत Üरृंखलाएं धूप से चमकती रहती हैं। स्वच्छ हवा और विकसित हो रहे होम स्टे, होटल और छोटे-छोटे रिसॉर्ट्स जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को इस यात्रा से जोड़ने पर पर्यटन को बड़ा लाभ हो सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की संस्कृति उसके व्यंजन, परिधान, आभूषण और स्थानीय शिल्प को भी यात्रा का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इसके लिए समुचित रूपरेखा तैयार करना समय की जरूरत है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री शीतकालीन यात्रा और उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में बार-बार उल्लेख कर राज्य के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। लेकिन यह शक्ति तब सार्थक होगी जब राज्य स्वयं इसे यात्रा प्रबंधन से जोड़ने की क्षमता विकसित करें।
उन्होंने याद दिलाया कि 2014 में शीतकालीन चारधाम यात्रा प्रारंभ करने की पहल के दौरान फ्रेमवर्क (एसओपी) तैयार किया गया था, ताकि यात्रा में किसी प्रकार के अवांछित व्यवहार जैसे दारूबाजी आदि की गुंजाइश न रहे।
रावत ने वर्तमान सरकार और स्टेक होल्डर्स को सलाह दी कि यदि अभी ठोस ऑपरेशनल मानक तैयार किए जाएं और सभी संबंधित पक्षों को उससे जोड़ा जाए, तो यह यात्रा दीर्घकालिक रूप से राज्य के लिए अत्यधिक लाभकारी बन सकती है। उन्होंने होटल एसोसिएशन और पर्यटन से जुड़े संगठनों से भी आग्रह किया कि यदि वे इस सुझाव से सहमत हों, तो संबंधित लोगों से बात करें।



