उत्तराखंडदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का विधानसभा में ऐतिहासिक संबोधन

उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 वर्ष की विकास यात्रा को सराहा

• कहा- राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से आगे बढ़े उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी राज्यवासियों और विधानसभा के वर्तमान एवं पूर्व सदस्यों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में उत्तराखंड की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को जनभावनाओं के अनुरूप की गई थी, जिससे बेहतर प्रशासन और संतुलित विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।

राज्य ने विकास के कई क्षेत्रों में हासिल की उल्लेखनीय उपलब्धियां
राष्ट्रपति ने कहा कि विगत 25 वर्षों में उत्तराखंड ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय प्रगति की है। डिजिटल और भौतिक कनेक्टिविटी के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में भी राज्य ने उल्लेखनीय कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में मानव विकास सूचकांक में सुधार हुआ है, साक्षरता दर बढ़ी है, महिलाओं की शिक्षा में विस्तार हुआ है और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।

महिला सशक्तिकरण के प्रयासों की सराहना
राष्ट्रपति मुर्मु ने राज्य में महिला सशक्तिकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा सुशीला बलूनी, बछेंद्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी महिलाओं के योगदान से और सशक्त हुई है। उन्होंने कहा कि ऋतु खंडूड़ी भूषण को पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनाकर राज्य ने इतिहास रचा है।

उत्तराखंड की धरती से प्रवाहित होती हैं शौर्य और अध्यात्म की परंपराएं
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की यह देवभूमि अध्यात्म और वीरता की परंपरा से ओतप्रोत है। कुमांऊ और गढ़वाल रेजीमेंट राज्य के गौरव का प्रतीक हैं। यहां के युवाओं में देश सेवा की भावना गहराई से रची-बसी है।

समान नागरिक संहिता लागू करने को सराहा
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता का प्रावधान किया था। इसी भावना के अनुरूप उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता विधेयक पारित कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा द्वारा अब तक 550 से अधिक विधेयक पारित किए गए हैं, जिनमें लोकायुक्त, जमींदारी विनाश और नकल विरोधी विधेयक उल्लेखनीय हैं।

ई-विधान एप्लीकेशन से उत्तरदायित्व और पारदर्शिता में हुई वृद्धि
राष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त की कि उत्तराखंड विधानसभा ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन प्रणाली को अपनाया है और दो सत्र सफलतापूर्वक इसका उपयोग कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली सुशासन, दक्षता और पारदर्शिता को और बढ़ाएगी।

प्रकृति का संरक्षण कर आगे बढ़ें
अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड को अपनी अनुपम प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि विधायकों के योगदान से राज्य ने 25 वर्षों की यह विकास यात्रा पूरी की है और आगे भी जन-आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य करते रहना चाहिए।

उत्तराखंड समृद्ध और सशक्त राज्य बनने की दिशा में अग्रसरः राज्यपाल
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने अपने अभिभाषण में कहा कि 25 वर्ष का यह कालखंड उत्तराखंड के आर्थिक समृद्धि, सुशासन, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और आधारभूत विकास का स्वर्णिम दौर रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में राज्य को आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, जैविक कृषि और हरित ऊर्जा का आदर्श राज्य बनाया जाएगा।

राष्ट्रपति का अभिभाषण रहेगा मार्गदर्शकः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और राष्ट्रसेवा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास का स्वर्णिम क्षण है और राष्ट्रपति के प्रेरणादायी शब्द आने वाले 25 वर्षों की विकास यात्रा में मार्गदर्शक रहेंगे। मुख्यमंत्री ने सभी राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके त्याग और बलिदान से ही यह राज्य अस्तित्व में आया है।

उत्तराखंड विधानसभा ने अपनाए कई नवाचारः विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने कहा कि पेपरलेस विधान सभा और ई-विधान प्रणाली से उत्तराखंड ने ग्रीन इनिशिएटिव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पार्लियामेंट्री स्टडीज, रिसर्च एंड ट्रेनिंग’ की स्थापना की गई है, जिसे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है।

उत्तराखंड देश की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की मिसालः नेता प्रतिपक्ष
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड अपनी भौगोलिक और सांस्कृतिक विशिष्टता के कारण देश की सीमाओं की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य की महिलाओं ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए सदैव संघर्ष किया है कृ चिपको आंदोलन इसका जीवंत उदाहरण है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राष्ट्रपति के संबोधन से सदन को नई दिशा और ऊर्जा प्राप्त होगी।

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