बटुक ब्रह्मचारियों को धारण कराए गए यज्ञोपवीत

Rishikesh : मायाकुंड स्थित दंडीबाड़ा आश्रम में मुनीश्वर वेदांग संस्कृत महाविद्यालय के नव प्रवेशी छात्रों का यज्ञोपवीत संस्कार विधिविधान से संपन्न हुआ।
रविवार सुबह सबसे पहले त्रिवेणीघाट गंगातट पर महाविद्यालय के बटुक ब्रह्मचारियों (नवप्रवेशी संस्कृत छात्रों) का दसविधि स्नाना कराया गया। इसके बाद जनार्दन आश्रम दंडीबाड़ा मायाकुंड में डंडी स्वामी विज्ञानानंद तीर्थ महाराज के सानिध्य में यज्ञ, पूजन के पश्चात उन्हें यज्ञोपवीत धारण कराया गया।
प्रधानाचार्य डॉ. जनार्दन प्रसाद कैरवान ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार गुरुकुल में वेद के अध्ययन से पूर्व यज्ञोपवीत संस्कार (उपनयन संस्कार) किया जाता है। यह प्राचीनकाल से जारी इस वैदिक परंपरा को संस्कृत विद्यालय आज भी जीवित रखे हुए हैं। कहा कियज्ञोपवीत के बाद ही बालक गायत्री मंत्र व वेद पढ़ने का अधिकारी बनता है।
स्वामी केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया की उपनयन संस्कार से द्विजत्व की प्राप्ति होती है। शास्त्रों व पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि इस संस्कार के द्वारा व्यक्ति का द्वितीय जन्म माना जाता है। इस संस्कार से अपने आत्यन्तिक कल्याण के लिए वेदाध्ययन, गायत्री जप और श्रौत-स्मार्त आदि कर्म करने का अधिकार प्राप्त होता है।
इस अवसर पर स्वामी अच्युतानंद महाराज, आचार्य जितेंद्र प्रसाद भट्ट, आचार्य सुरेश पंत, आचार्य शंकरमणि भट्ट, विशाल शर्मा, अमन सेमवाल, वेदांत जुयाल, रोहित शर्मा, पारस चमोली, हन्नी बलूनी आदि मौजूद थे।